खड़गपुर आईआईटी में अब तीन भाषाओं में लिखे जाएंगे सभी साइनबोर्ड, बांग्ला को मिलेगा विशेष स्थान
आईआईटी खड़गपुर में लगी पट्टी


कोलकाता, 05 अगस्त (हि.स.)। पश्चिम मेदिनीपुर के खड़गपुर स्थित ऐतिहासिक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए अब परिसर के सभी नाम-पट्ट, दिशा-निर्देश बोर्ड और शिलान्यास पट्टों को अंग्रेजी और हिंदी के साथ-साथ बांग्ला भाषा में भी लिखने का फैसला किया है। आईआईटी खड़गपुर के निदेशक सुमन चक्रवर्ती ने बताया कि इस कदम का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तीन-भाषा फार्मूले का पालन करना और स्थानीय भाषा को सम्मान देना है।

सुमन चक्रवर्ती ने कहा कि संस्थान में कार्यरत कई गैर-शैक्षणिक कर्मचारी केवल बांग्ला भाषा पढ़ और लिख सकते हैं। कुछ हिदी समझते हैं, लेकिन लिखने में सक्षम नहीं हैं। उनके लिए जानकारी को सुगम बनाना इस निर्णय का मुख्य कारण है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने दफ्तर और सरकारी आवास के नाम-पट्ट को भी तीनों भाषाओं में बदल दिया है, जो किसी भी पूर्व निदेशक ने नहीं किया था।

उन्होंने कहा कि यह केवल भाषाई बदलाव नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और सोच में बदलाव का प्रतीक है। आईआईटी खड़गपुर बंगाल में स्थित है और यहां की पहचान में बांग्ला भाषा को उसका स्थान मिलना जरूरी है।

सुमन चक्रवर्ती ने यह भी निर्देश दिया है कि संस्थान के सभी महत्वपूर्ण हिस्सों —जैसे ऑडिटोरियम, भवन, विभाग और ऐतिहासिक हिजली डिटेंशन कैंप —के पट्टों पर तीनों भाषाएं अनिवार्य रूप से लिखी जाएं।

हिजली डिटेंशन कैंप को आईआईटी खड़गपुर का जन्मस्थान माना जाता है। यहां स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई क्रांतिकारियों को रखा गया था, लेकिन अब तक उनके योगदान को बांग्ला भाषा में अंकित नहीं किया गया था। निदेशक का मानना है कि यह स्थिति ‘अस्वाभाविक’ है, जिसे अब सुधारा जाएगा।

संस्थान का स्थापना दिवस आगामी 18 अगस्त को मनाया जाएगा, जिसमें कई नई परियोजनाओं के शिलान्यास कार्यक्रम होंगे। निदेशक ने स्पष्ट किया कि उस दिन के शिलान्यास पट्ट भी तीनों भाषाओं में होंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर