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नई दिल्ली, 5 अगस्त (हि.स.)। भारत ने दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन की आपत्तियों पर स्पष्ट किया है कि यह क्षेत्र वैश्विक संपदा का हिस्सा है और यहां मुक्त नौवहन, उड़ान और वैध व्यापार की स्वतंत्रता को सम्मान दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर बल दिया है।
विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) पेरियासामी कुमारन ने फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर की भारत यात्रा के दौरान आयोजित विशेष संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। मीडिया ने दक्षिण चीन सागर में फिलिपींस की कार्रवाइयों पर चीन की आपत्ति को लेकर सवाल किया। इसपर कुमारन ने भारत की स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि भारत दक्षिण चीन सागर को ‘ग्लोबल कॉमन्स’ मानता है और इस क्षेत्र में नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता तथा वैध वाणिज्य का समर्थन करता है।
कुमारन ने कहा कि भारत का रुख संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि पर आधारित है। संबंधित पक्षों के बीच कोई भी मतभेद कानूनी और कूटनीतिक तरीकों से शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में बल प्रयोग या बल प्रयोग की धमकी से बचा जाना चाहिए।
दक्षिण चीन सागर पर ‘कोड ऑफ कंडक्ट’ पर हो रही बातचीत पर उन्होंने कहा कि इसे प्रभावी, गंभीर और सभी हितधारकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए तेजी से पूरा किया जाना चाहिए। भले ही वे देश वार्ता प्रक्रिया का औपचारिक हिस्सा न हों।
उल्लेखनीय है कि भारत और फिलीपींस ने विवादित दक्षिण चीन सागर में अपना पहला संयुक्त नौवहन और नौसैनिक अभ्यास किया है। रविवार को शुरू हुई दो दिवसीय संयुक्त सैन्य तैनाती पर चीन ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा