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नई दिल्ली, 05 अगस्त (हि.स.)। भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली और जोखिम विश्लेषण क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) द्वारा संचालित एमएससी इन एक्चुअरियल साइंस विद डेटा एनालिटिक्स (एमएससी-एएसडीए) कार्यक्रम को इंस्टिट्यूट एंड फैकल्टी ऑफ एक्चुअरीज (आईएफओए), यूनाइटेड किंगडम द्वारा मान्यता प्राप्त हुई है। यह कार्यक्रम भारत का ही नहीं, बल्कि दुनिया का पहला हाइब्रिड प्रारूप वाला एमएससी कार्यक्रम बन गया है जिसे सात प्रमुख एक्चुअरियल विषयों में छूट (एक्ज़ेम्प्शन) प्राप्त हुई है।
यह कार्यक्रम आरआरयू द्वारा इंस्टिट्यूट ऑफ एक्चुअरियल एंड क्वांटिटेटिव स्टडीज (आईएक्यूएस) के साथ मिलकर तैयार किया गया है। इस उपलब्धि की घोषणा दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान की गई, जिसमें कई शिक्षाविदों और एक्चुअरियल क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम को सीएस1, सीएस2, सीएम1, सीएम2, सीबी1, सीबी2 और सीपी1 विषयों में आईएफओए द्वारा एक्जेम्प्शन प्रदान की गई है, जो कि दक्षिण एशिया में एक बड़ा शैक्षणिक मील का पत्थर है। आरआरयू के कुलपति प्रोफेसर (डॉ) बिमल एन. पटेल ने इसे भारत की वैश्विक वित्तीय और सुरक्षा नेतृत्व की दिशा में एक रणनीतिक शैक्षणिक प्रयास बताया।
आईएफओए के लर्निंग डायरेक्टर माइक मैकडॉगॉल ने इस अवसर पर कहा कि यह कार्यक्रम भारत को वैश्विक मंच पर डेटा-आधारित वित्तीय शिक्षा में अग्रणी बना सकता है। उन्होंने कहा कि अब दक्षिण एशिया में तीन विश्वविद्यालय ऐसे हो गए हैं, जहां से छात्र आईएफओए की परीक्षाओं के लिए विषय-स्तर पर छूट प्राप्त कर सकते हैं।
आईएफओए के सलाहकार विकास नेवतिया ने मान्यता प्रक्रिया की जानकारी दी और कार्यक्रम की शैक्षणिक गुणवत्ता और पाठ्यक्रम संरचना की सराहना की।
आईएक्यूएस के प्रोग्राम डायरेक्टर आकाश रुघानी ने बताया कि यह कार्यक्रम शैक्षणिक गहराई, पेशेवर योग्यता और राष्ट्रीय उद्देश्य—इन तीनों के संगम पर आधारित है। इसमें पायथन, आर, पावर बीआई, जेनरेटिव एआई और वीबीए जैसे उपकरणों को शामिल किया गया है जो आज के जोखिम प्रबंधन के युग में अत्यंत आवश्यक हैं।
कार्यक्रम का पाठ्यक्रम बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के ‘2047 तक भारत को बीमित करने’ के लक्ष्य के अनुरूप तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य समावेशी और डेटा-आधारित बीमा समाधान विकसित करने वाले पेशेवरों को तैयार करना है।
आईएक्यूएस के निदेशक अमन लोहारुका ने बताया कि एक्चुअरियल साइंस विश्वभर में एक प्रतिष्ठित पेशा है, लेकिन भारत में इसकी जानकारी और पहुंच सीमित है। उन्होंने इस क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने और अकादमिक संरचना तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम की संरचना हाइब्रिड स्वरूप में रखी गई है, जिसमें सप्ताह के मंगलवार से रविवार तक लाइव ऑनलाइन कक्षाएं हैं। इसके अतिरिक्त, छात्रों को गांधीनगर स्थित आरआरयू परिसर में ऑफलाइन अनुभव (इमर्शन) भी प्राप्त होगा। कक्षाओं की रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध कराई जाएगी ताकि छात्र किसी भी समय पुनः अध्ययन कर सकें। परीक्षाएं आईएफओए द्वारा मान्यता प्राप्त केंद्रों पर आयोजित की जाएंगी। कुल मिलाकर यह पाठ्यक्रम 10 एक्चुअरियल विषयों को कवर करता है, जिनमें से सात में एक्जेम्प्शन मिलेगी।
प्रवेश के लिए यह कार्यक्रम वाणिज्य, अभियांत्रिकी, सूचना प्रौद्योगिकी और गणित से स्नातक कर चुके विद्यार्थियों के लिए खुला है। पहले वर्ष का शुल्क तीन लाख 17 हजार रुपये और दूसरे वर्ष का तीन लाख 50 हजार रुपये निर्धारित किया गया है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को ध्यान में रखते हुए, छात्रों को 50 प्रतिशत तक छात्रवृत्ति भी उपलब्ध है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार