श्वेत क्रांति 2.0 के तहत डेयरी सहकारिता को बढ़ावा, 15 हजार से अधिक नई समितियां गठित
केंदीय सहकारिता मंत्री अमित शाह बैठक के दौरान


नई दिल्ली, 05 अगस्त (हि.स.)। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि देश में श्वेत क्रांति 2.0 के तहत सहकारी समितियों के माध्यम से दूध की खरीद में 50 प्रतिशत की वृद्धि करने का लक्ष्य रखा गया है। इस दिशा में अबतक 15,691 नई डेयरी सहकारी समितियां पंजीकृत की जा चुकी हैं, जबकि 11,871 मौजूदा समितियों को मज़बूत किया गया है।

मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित सहकारिता मंत्रालय की परामर्शदात्री कमेटी की बैठक में अमित शाह ने बताया कि ग्रामीण भारत में आत्मनिर्भरता, समानता और विकास के लिए सहकारिता सबसे प्रभावी माध्यम बन रही है।

उन्होंने बताया कि सहकारिता मंत्रालय द्वारा पिछले चार वर्षों में सौ से अधिक पहलें की गई हैं, जिनमें डिजिटल सुधार, नीतिगत परिवर्तन, वित्तीय सहायता और संस्थागत क्षमता निर्माण शामिल हैं।

बैठक में जानकारी दी गई कि संसदीय अधिनियम के माध्यम से त्रिभुवन कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है। यह यूनिवर्सिटी देशभर में सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण को एकीकृत करेगी तथा इस क्षेत्र के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करेगी।

इसके साथ ही, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) और 15 राज्यों की 25 मिल्क यूनियनों ने डेयरी समितियों में बायोगैस प्लांट लगाने के लिए समझौते किए हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सहकारी समितियों को जीवंत और व्यावसायिक इकाइयों में बदलने का प्रयास किया जा रहा है।

अमित शाह ने बताया कि सरकार द्वारा तय किए गए लक्ष्य के अनुसार आगामी पांच वर्षों में देशभर में दो लाख बहुउद्देशीय सहकारी समितियां स्थापित की जाएंगी। अब तक 35,395 नई समितियां गठित की जा चुकी हैं, जिनमें 6,182 बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां, 27,562 डेयरी समितियां और 1,651 मत्स्य समितियां शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि भूमिहीन और पूंजीविहीन नागरिकों के लिए सहकारिता क्षेत्र समृद्धि का माध्यम बन रहा है। इस दिशा में तीन राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समितियां नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक लिमिटेड (एनसीओएल), नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड (एनसीईएल) और भारतीय बीज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (बीबीएसएसएल) की स्थापना की गई है।

उन्होंने कहा कि यह समितियां जैविक उत्पादों की प्रमाणिकता, ब्रांडिंग, पैकेजिंग, निर्यात और पारंपरिक बीजों के संरक्षण का कार्य कर रही हैं, जिससे किसानों को सीधे लाभ मिल रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार