ममता ने बाढ़ के लिए डीवीसी को ठहराया जिम्मेदार, जल प्रबंधन में भारी लापरवाही का आरोप
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी


कोलकाता, 04 अगस्त (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) पर एक बार फिर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया है कि पिछले दो वर्षों में डीवीसी द्वारा बंगाल के निचले इलाकों में छोड़े गए जल की मात्रा में 30 गुना वृद्धि हुई है, जिससे राज्य के दक्षिणी जिलों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। मुख्यमंत्री ने इसे प्राकृतिक नहीं, बल्कि ‘मानव निर्मित आपदा’ करार दिया है।

ममता ने सोमवार को साेशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट के जरिए केंद्र सरकार की संस्था पर जल प्रबंधन में घोर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि 2025 में डीवीसी द्वारा जून-जुलाई के दौरान छोड़ा गया पानी 50,287 लाख घन मीटर था, जबकि 2024 में यह आंकड़ा 4535 लाख घन मीटर रहा। यह 2024 की तुलना में 11 गुना और 2023 की तुलना में 30 गुना अधिक है।

उन्होंने लिखा, “इस तरह की अकल्पनीय और अचानक भारी मात्रा में जल छोड़े जाने से हमारे जिले तबाह हो गए हैं। फसलें बर्बाद हुई हैं, कई बांध टूट गए हैं, सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं और हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। इसके पीछे गहरी साजिश है।”

मुख्यमंत्री ने इसे ‘बंगाल विरोधी मानसिकता’ की एक और मिसाल बताते हुए कहा कि केंद्र द्वारा प्रशासित यह एजेंसी एक विशेष राजनीतिक एजेंडे के तहत काम कर रही है। उन्होंने कहा, “जैसा आज देशभर में एक खास ढांचा तैयार करने की कोशिश हो रही है, उसी के तहत डीवीसी की भूमिका भी साफ नजर आ रही है।”

यह पहली बार नहीं है जब मुख्यमंत्री ने डीवीसी को लेकर नाराजगी जताई है। 15 जुलाई को उन्होंने नवान्न में उच्चस्तरीय बैठक कर बाढ़ की स्थिति पर मंथन किया था और तब भी कहा था कि “डीवीसी खुद को बचाने के लिए बगैर बंगाल की चिंता किए भारी मात्रा में जल छोड़ रहा है। पिछले 14 वर्षों से हम इस संकट से जूझ रहे हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला।”

गौरतलब है कि पश्चिम मेदिनीपुर, हुगली और हावड़ा जैसे जिलों में बीते दो महीनों से भारी वर्षा और नदियों के उफान की वजह से जलजमाव बना हुआ है। मुख्यमंत्री ने इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप की मांग भी की थी और डीवीसी के अधीन नदियों और नालों की ड्रेजिंग की वकालत की थी। उनका मानना है कि यदि उचित ड्रेजिंग हो, तो नदियां अतिरिक्त चार लाख घन मीटर पानी धारण करने में सक्षम होंगी। ----------------------------

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर