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पूर्वी सिंहभूम, 3 अगस्त (हि.स.)। झारखंड में डायन प्रथा और अंधविश्वास के खिलाफ जनजागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आनंद मार्ग प्रचारक संघ ने रविवार को जमशेदपुर ब्लॉक के दुमकागोड़ा पंचायत में 200 फलदार पौधे वितरित किए। इस दौरान संघ के सुनील आनंद ने कहा कि डायन, ओझागुनी और बलि जैसी कुप्रथाएं समाज को पीढ़ी दर पीढ़ी कमजोर कर रही हैं। इनसे निपटने के लिए जरूरी है कि लोगों के मन की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए, जो भक्ति और आध्यात्मिक साधना से संभव है।
उन्होंने कहा कि डायन कोई नहीं होती, यह केवल अर्धविकसित समाज की मानसिक बीमारी है। ओझा-गुनी के भ्रम में पड़कर लोग न केवल आर्थिक नुकसान उठाते हैं, बल्कि अपराध को भी जन्म देते हैं। झाड़फूंक और तंत्र-मंत्र से किसी की जान नहीं ली जा सकती, यह सब झूठ और भय का खेल है।
बलि प्रथा को भी उन्होंने अमानवीय बताते हुए कहा कि कोई भी देवी-देवता अपने ही बनाए जीवों की बलि नहीं मांग सकते। समाज को अब वैज्ञानिक, व्यावहारिक और आध्यात्मिक शिक्षा की जरूरत है ताकि लोग अपने अंदर की शक्ति को पहचानें और अंधविश्वास से बाहर निकलें।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक