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प्रयागराज, 28 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रामपुर में यतीमखाना ढहाए जाने के मामले में राज्य सरकार के जवाब के प्रत्युत्तर के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान और अन्य की याचियों को दो सप्ताह का समय दिया है और सुनवाई के लिए 16 सितम्बर की तारीख लगाई है।
यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन ने वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नक़वी, अधिवक्ता सैयद अहमद फैज़ान और आजम खान व उनके सहयोगी वीरेंद्र गोयल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एनआई जाफरी, अधिवक्ता शाश्वत आनंद एवं शशांक तिवारी को सुनकर दिया। कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर याचिका में संशोधन की अनुमति दी थी, जिसके बाद याचिकाएं केवल मुख्य सूचनादाताओं, विशेष रूप से सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ज़फर अहमद फारूकी, की दोबारा गवाही और दोषमुक्त करने वाली वीडियोग्राफी को रिकॉर्ड में लाने की मांग तक सीमित रह गईं। याचियों का कहना है कि वीडियोग्राफी उनकी घटनास्थल पर अनुपस्थिति साबित कर सकती है।
यतीमखाना ढहाए जाने के आरोप में यह मुकदमा 2019 में रामपुर के कोतवाली थाने में दर्ज 12 एफआईआर पर आधारित है। इनमें डकैती, घर में अनधिकृत प्रवेश और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप हैं। इन सभी को विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) रामपुर ने एकल वाद में समाहित कर दिया था। याचियों ने याचिकाओं में ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें गवाहों को दोबारा बुलाने और वीडियोग्राफी को शामिल करने की उनकी मांग को खारिज कर दिया गया था। उनका कहना है कि यह मुकदमा राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है और संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 20 और 21 का उल्लंघन है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे