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नैनीताल, 27 अगस्त (हि.स.)। जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव प्रकरण में उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग से पूछा कि उन पांच सदस्यों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जिन्होंने अपना मत न डालने के लिए कोई अनुमति नहीं ली थी।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने 'उत्तर प्रदेश जिला पंचायत अध्यक्ष उपाध्यक्ष निर्वाचन और विवाद निवारण नियमावली 1994' की हैंडबुक कोर्ट में लाने को कहा था। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट ने कहा कि ऑब्जर्वर की तरफ से दो रिपोर्ट दी गई हैं। ऑब्जर्वर ने कहा है कि सौ मीटर के दायरे में कोई गड़बड़ी या हिंसा नहीं हुई है। बताया कि आयोग के सामने रखी रिपोर्ट में कुछ विवादित नहीं होने के बाद नैनीताल जिला निर्वाचन अधिकारी, डीएम को इसे अपने स्तर पर निस्तारित करने को कहा गया था। ऑब्जर्वर ने 15 अगस्त की सुबह 5 बजे रिपोर्ट दी। एसएसपी ने डीएम को 15 अगस्त को विस्तृत रिपोर्ट भेजी।
याची की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि नियम कहता है कि मतदान केंद्र से एक किलोमीटर की दूरी तक कड़ाई से नियम लागू होने चाहिए।
नव निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष दीपा दरमवाल के अधिवक्ता ने बताया कि ऑब्जर्वर ने कहा कि 500 मीटर के दायरे में सब खाली था।जबकि 100 मीटर के दायरे में सब कुछ सैनेटाइज किया गया था।
डीएम वंदना सिंह ने वर्चुअली उपस्थित होकर बताया कि चुनाव के दिन एसएसपी ने उन्हें जो स्टेटस रिपोर्ट दी थी वह उन्होंने उसी दिन चुनाव आयोग को भेज दी थी। कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि उसने मतदान के दिन की घटनाओं के विषय में अधिकारियों को क्या निर्देश दिए और क्या एक्शन लिया। कोर्ट ने पूछा कि उन पांच सदस्यों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई जिन्होंने अपना मत न डालने का कोई कारण नहीं दर्शाया था। कोर्ट ने कहा कि सोमवार को चुनाव आयोग अपना पक्ष रखते हुए शपथपत्र पेश करें।
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हिन्दुस्थान समाचार / लता