आईवीआरआई में जय गोपाल वर्मीकल्चर तकनीक पर दो दिवसीय प्रशिक्षण शुरू
आईवीआरआई में जय गोपाल वर्मीकल्चर तकनीक पर दो दिवसीय प्रशिक्षण शुरू
आईवीआरआई में वर्मीकम्पोस्टिंग विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते संयुक्त निदेशक डॉ. रूपसी तिवारी एवं अन्य अधिकारी।


आईवीआरआई में वर्मीकम्पोस्टिंग विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते संयुक्त निदेशक डॉ. रूपसी तिवारी एवं अन्य अधिकारी।


आईवीआरआई में वर्मीकम्पोस्टिंग विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते संयुक्त निदेशक डॉ. रूपसी तिवारी एवं अन्य अधिकारी।


आईवीआरआई में वर्मीकम्पोस्टिंग विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते संयुक्त निदेशक डॉ. रूपसी तिवारी एवं अन्य अधिकारी।


बरेली, 25 अगस्त (हि.स.) । भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) इज्जतनगर के संयुक्त निदेशालय प्रसार शिक्षा विभाग की ओर से लुधियाना-पंजाब के विषय वस्तु विशेषज्ञ और पशु चिकित्साधिकारियों के लिए “जय गोपाल केंचुए के माध्यम से वर्मीकम्पोस्टिंग” विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ। यह कार्यक्रम आईसीएआर-अटारी जोन-प्रथम, पीएयू कैंपस लुधियाना द्वारा प्रायोजित है।

उद्घाटन अवसर पर संयुक्त निदेशक डॉ. रूपसी तिवारी ने बताया कि देश में प्रतिदिन करीब तीन मिलियन टन गोबर का उत्पादन होता है। अकेले लुधियाना जिले में ही 600 से 650 टन गोबर निकलता है। उन्होंने कहा कि आईवीआरआई की जय गोपाल वर्मीकल्चर तकनीक स्वदेशी केंचुआ प्रजाति पेरियोनिक्स सीलानेसिस पर आधारित है, जो उच्च तापमान सहन कर उच्च गुणवत्ता की जैविक खाद तैयार करती है। यह तकनीक अब तक 14 से अधिक राज्यों में किसानों व उद्यमियों को हस्तांतरित की जा चुकी है।

डा. ए.के. पांडे ने कहा कि प्रशिक्षणार्थियों को वर्मी कम्पोस्ट बनाने की विस्तृत जानकारी व प्रायोगिक प्रदर्शन दिखाया जाएगा। वहीं कोर्स निदेशक डॉ. हरि ओम पांडे ने कहा कि पशुधन को जैव शोधक माना जाता है, जो अपशिष्ट को मूल्यवान उत्पाद में बदल देता है। कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन भी डॉ. हरि ओम पांडे ने किया। मौके पर डॉ. अजय दास समेत अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / देश दीपक गंगवार