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रायपुर, 25 अगस्त (हि.स.)। वनमंत्री केदार कश्यप के निर्देशानुसार राज्य सरकार की आजीविका संवर्धन योजनाओं के अंतर्गत विशेष पिछड़ी जनजातियों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। वनमंत्री कश्यप ने कहा कि वन विभाग का यह प्रयास न केवल पारंपरिक कला को सहेजने की दिशा में कारगर सिद्ध होगा, बल्कि इससे विशेष पिछड़ी जनजातीय समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त कर विकास की मुख्यधारा से भी जोड़ा जा सकेगा।
इसी कड़ी में बलौदाबाजार वनमण्डलाधिकारी धम्मशील गणवीर के मार्गदर्शन में बारनवापारा में बांस आभूषण एवं शिल्पकला निर्माण संबंधी कार्यशाला सह प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। इसमें गुवाहाटी (असम) के बांस कला विशेषज्ञ प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। इस कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम में बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के ग्राम बल्दाकछार से 06, ठाकुरदिया से 14 एवं बारनवापारा से 16 सहित कुल 36 हितग्राहियों को दो चरणों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य विशेष पिछड़ी जनजातियों विशेषकर कमार और बसोड़ परिवारों को उनकी पारंपरिक बांस शिल्पकला में निपुण बनाकर आय के नए-नए साधन उपलब्ध कराना है। प्रशिक्षण के बाद हितग्राहियों द्वारा बनाए गए बांस आभूषण एवं शिल्पकला उत्पादों को प्रदेश सहित देश के विभिन्न बाजारों में विक्रय किया जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / चन्द्र नारायण शुक्ल