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जयपुर, 25 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामले में अदालती आदेश के बावजूद आरोपी की कॉल डिटेल अदालत में पेश नहीं करने पर अलवर के राजगढ थाने के जांच अधिकारी को जेल भेजने की चेतावनी दी। आखिर में जांच अधिकारी के माफी मांगने पर अदालत ने प्रकरण की सुनवाई एक दिन के लिए टालते हुए जांच अधिकारी को संबंधित रिकॉर्ड पेश करने को कहा है। जस्टिस अशोक कुमार जैन की एकलपीठ ने यह आदेश शंकर लाल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान अदालत ने जांच अधिकारी से पूछा कि गत 12 अगस्त के आदेश की पालना में आरोपी के फोन की कॉल डिटेल से जुडा रिकॉर्ड पेश क्यों नहीं किया। इस पर जांच अधिकारी ने कहा कि वह रिकॉर्ड नहीं लाए हैं। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कहीं वह आरोपी को बचाने के लिए तो ऐसा नहीं कर रहे हैं। इसके साथ ही अदालत ने जांच अधिकारी को जेल भेजने की चेतावनी देते हुए हुए कहा कि 26 अगस्त को रिकॉर्ड पेश किया जाए, वरना कोर्ट अपने स्तर पर आदेश देगी।
पीडिता के वकील बाबूलाल बैरवा ने बताया कि याचिकाकर्ता ने पीडिता के साथ दुष्कर्म किया था। वहीं बाद में उसका विवाह तय होने पर उसके मंगेतर को भी फोन कर जान से मारने की धमकी दी। जिसके चलते शादी के कुछ दिन पहले ही मंगेतर ने विवाह करने से इनकार कर दिया। वहीं सामाजिक रिवाजों के चलते आनन फानन में दूसरे लडके से पीडिता का विवाह कराया गया। पीडिता के वकील ने अदालत में आरोप लगाया की जांच अधिकारी ने आरोपी को बचाने के उद्देश्य से अनुसंधान किया है और आदेश के बावजूद अदालत में रिकॉर्ड पेश नहीं किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक