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नई दिल्ली, 25 अगस्त (हि.स.)। दिल्ली के पुलिस थानों से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये गवाही देने के अनुमति देने के दिल्ली के उप-राज्यपाल के नोटिफिकेशन के खिलाफ वकीलों की ओर से न्यायिक बहिष्कार के तीसरे दिन साेमवार काे वकील सड़कों पर नजर आए। दिल्ली की सभी निचली अदालतों में वकीलों ने साेमवार काे कोर्ट परिसर के अलावा सड़कों पर भी प्रदर्शन किया। साेमवार काे वकीलों के प्रतिधिनियों की दिल्ली के मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मुलाकात के बाद भी कोई बात नहीं बनी। वकीलों की ओर से न्यायिक बहिष्कार 26 अगस्त को भी जारी रहेगी।
दिल्ली की निचली अदालतों के सभी बार एसोसिएशंस के संगठन कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मुलाकात की लेकिन नोटिफिकेशन को लेकर कोई ठोस सहमति नहीं बन सकी। वकीलों के मुताबिक जब तक उप-राज्यपाल की ओर से नोटिफिकेशन को वापस नहीं लिया जाएगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा। कोआर्डिनेशन कमेटी ने 26 अगस्त को कोर्ट के अंदर नायब कोर्ट और किसी भी पुलिसकर्मी और सरकारी वकील को कोर्ट में प्रवेश नहीं करने देने का फैसला किया है।
दिल्ली की सभी निचली अदालतों में वकीलों का पहले के मुकाबले तीखा विरोध देखने को मिला। कड़कड़डूमा कोर्ट में पुलिस वालों और सरकारी वकीलों को कोर्ट में प्रवेश करने से रोक दिया गया। कड़कड़डूमा कोर्ट की शाहदरा बार एसोसिएशन के सेक्रेटरी नरवीर डबास बाजाप्ता वकीलों और पक्षकारों के प्रवेश द्वार पर माईक से बता रहे थे कि किसी भी पुलिस या सरकारी वकील को प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। वे बता रहे थे कि अगर पुलिस थानों में गवाही होने लगेगी तो न्याय दुर्लभ हो जाएगा। ये पक्षकारों और वकीलों दोनों के अहित में है। बाद में वकील कृष्णा नगर रेड लाइट पर जाकर प्रदर्शन करने लगे।
तीस हजारी कोर्ट में भी वकीलों ने कोर्ट के बाहर रेड लाइट पर रोड जाम कर नारे लगाने लगे। यही स्थिति साकेत कोर्ट, रोहिणी कोर्ट, द्वारका कोर्ट और राऊज एवेन्यू कोर्ट की भी रही। राऊज एवेन्यू कोर्ट में भी वकीलों ने कोर्ट का गेट बंद कर काला कानून वापस लो के नारे लगा रहे थे।
बता दें कि, दिल्ली की निचली अदालतों के सभी बार एसोसिएशंस के संगठन कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशंस के आह्वान पर 22 अगस्त से वकील न्यायिक कार्यों का बहिष्कार कर रहे हैं। अब वकीलों ने सड़कों पर प्रदर्शन करने और उप-राज्यपाल के दफ्तर का घेराव करने की योजना भी बना रहे हैं।
दिल्ली के वकीलों की मांग का उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन और दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने भी समर्थन किया है। 23 अगस्त को दोनों संगठनों ने उप-राज्यपाल के नोटिफिकेशन को वापस लेने की मांग की। उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय की बार एसोसिएशंस ने अलग-अलग नोटिस जारी कर ये मांग की।
इस हड़ताल का आह्वान दिल्ली की निचली अदालतों के सभी बार एसोसिएशंस के संगठन कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशंस ने किया है। कोआर्डिनेशन कमेटी ने कहा कि दिल्ली के उप-राज्यपाल ने 13 अगस्त को एक नोटिफिकेशन जारी कर पुलिस थानों से पुलिसकर्मियों के बयान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये दर्ज करने की अनुमति दी थी। इसके लिए कुछ स्थान तय किए गए हैं। उप-राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ कोआर्डिनेशन कमेटी ने 20 अगस्त को दिल्ली के उप-राज्यपाल, केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री और दिल्ली की मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपना विरोध जताया था। कोआर्डिनेशन कमेटी के मुताबिक उप-राज्यपाल का नोटिफिकेशन केंद्रीय गृह सचिव के 15 जुलाई, 2024 के सर्कुलर के विपरीत है। केंद्रीय गृह सचिव के सर्कुलर में पुलिस थानों में किसी भी किस्म की गवाही से इनकार किया गया था।
कोआर्डिनेशन कमेटी ने 20 अगस्त को लिखे पत्र में कहा था कि उप-राज्यपाल के इस नोटिफिकेशन को 48 घंटों के अंदर वापस लिया जाए। लेकिन दो दिन बीत के बावजूद इस पत्र पर विचार नहीं किया गया। उसके बाद कोआर्डिनेशन कमेटी ने 21 अगस्त को आपात बैठक कर दिल्ली की सभी जिला अदालतों में 22 और 23 अगस्त को न्यायिक कार्यों के बहिष्कार का फैसला किया था।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी