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कोलकाता, 23 अगस्त (हि.स.)।
कोलकाता की एक अदालत ने सात साल पुराने पोक्सो मामले में आरोपित युवक को बरी कर दिया। अदालत का यह फैसला आरोपित की प्रेमिका के उसे बयान के बाद आया इसमें उसने स्वीकार किया कि वह युवक से सच्चा प्रेम करती है और उसीकी इच्छा से उसके साथ भागकर विवाह किया था।
दरअसल, सात वर्ष पूर्व युवती नाबालिग थी और युवक के साथ घर से भागकर वाराणसी में विवाह कर लिया था। परिवार की शिकायत पर पुलिस ने युवक को गिरफ्तार कर जेल भेजा और युवती को होम में रखा। चार्जशीट में युवक पर अपहरण और यौन शोषण का आरोप लगाया गया था। हालांकि, अदालत में युवती ने बयान दिया कि उसने युवक पर खुद विवाह का दबाव डाला था और यहां तक कहा था कि अगर शादी न हुई तो वह आत्महत्या कर लेगी।
अदालत ने माना कि पुलिस की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य आरोप सिद्ध करने में सक्षम नहीं हैं। न्यायाधीश पापिया दास ने अपने 27 पन्नों के फैसले में कहा कि संदेह चाहे कितना भी प्रबल क्यों न हो, बिना ठोस प्रमाण के अदालत में टिक नहीं सकता।
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने भी पोक्सो कानून को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि किशोर-किशोरियों के बीच आपसी सहमति से बने प्रेम संबंधों को अपराध मानकर जेल भेजना उचित नहीं है। न्यायाधीशों के अनुसार प्रेम संबंध कोई अपराध नहीं है। ऐसे मामलों में पोक्सो का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय