राजस्थान हाईकोर्ट : नोहर नगरपालिका अध्यक्ष की निलंबन चुनौती याचिका खारिज
सरकार का निलंबन आदेश सही, दो माह में जांच पूरी करने के आदेश जोधपुर, 22 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने नोहर नगरपालिका बोर्ड की चेयरपर्सन मोनिका खटोतिया के निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस सुनील बेनीवाल की कोर्ट ने अप
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सरकार का निलंबन आदेश सही, दो माह में जांच पूरी करने के आदेश

जोधपुर, 22 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने नोहर नगरपालिका बोर्ड की चेयरपर्सन मोनिका खटोतिया के निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस सुनील बेनीवाल की कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अवैध पट्टा जारी करने के गंभीर आरोपों के चलते निलंबन सही है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि दो महीने के अंदर जांच पूरी की जाए।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गंभीर आरोपों को देखते हुए राज्य सरकार के निर्णय में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। निलंबन केवल अस्थायी स्थिति से वंचित करना है, यह कोई दंड नहीं है। दुराचार और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के दौरान आमतौर पर निलंबन का सहारा लिया जाता है। इस मामले में न्यायालय के हस्तक्षेप की कोई विशेष परिस्थिति नहीं दिखी। मोनिका खटोतिया के वकील मोतीसिंह ने तर्क दिया था कि वे जनादेश से चुनी गई प्रतिनिधि हैं और राज्य अधिकारी अपनी मर्जी से उन्हें हटा नहीं सकते। इसके लिए मकरंद बनाम महाराष्ट्र राज्य, गीता देवी नरूका बनाम राजस्थान राज्य, विमला देवी बनाम राजस्थान राज्य और अन्य मामलों का हवाला दिया गया था। हालांकि कोर्ट ने स्वीकार किया कि मोनिका खटोतिया एक चुनी हुई प्रतिनिधि हैं और जनादेश रखती हैं, लेकिन जब गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगते हैं, तो राज्य सरकार को पूरा अधिकार है कि वह जांच कराए और उसे तार्किक अंत तक ले जाकर जांच रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई करे।

2021 को नोहर नगरपालिका बोर्ड की चेयरपर्सन चुनी गई :

उल्लेखनीय है कि मोनिका खटोतिया 31 जनवरी 2021 को नोहर नगरपालिका बोर्ड की चेयरपर्सन चुनी गई थीं। उनके खिलाफ 2023 में बोर्ड के दिन-प्रतिदिन के कामकाज और पट्टे जारी करने में अनियमितताओं को लेकर दो एफआईआर दर्ज हुई थीं। हालांकि जांच में दोनों में पुलिस ने नेगेटिव फाइनल रिपोर्ट दी थी, लेकिन 11 अक्टूबर 2023 की एफआईआर के आधार पर विभाग ने 6 फरवरी 2024 के आदेश से उन्हें निलंबित करने का प्रस्ताव रखा था।

तीसरी बार निलंबन की कार्रवाई हुई :

मोनिका खटोतिया के खिलाफ निलंबन की तीसरी कार्रवाई की गई थी। पहली कोशिश एफआईआर के आधार पर की गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी और बाद में पुलिस ने नेगेटिव रिपोर्ट दी। दूसरी जांच न्यायिक अधिकारी द्वारा की गई, जिसमें 17 जून 2025 को आरोप सिद्ध नहीं हुए। तीसरी जांच वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष हाजऩ खातुन टाक की 7 अप्रैल 2025 की शिकायत के बाद शुरू हुई। गत 19 मई को डिप्टी डायरेक्टर (विजिलेंस) ने जांच का आदेश दिया और चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई। कमेटी ने 3 जुलाई को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसके आधार पर 7 जुलाई को चार आरोप लगाकर खटोतिया से स्पष्टीकरण मांगा गया। मोनिका खटोतिया ने तीन दिन के बजाय 30 दिन का समय मांगा, लेकिन 11 जुलाई के आदेश से उन्हें निलंबित कर न्यायिक जांच का आदेश दे दिया गया।

यह है मोनिका खटोतिया पर आरोप

कोर्ट के फैसले के अनुसार मोनिका खटोतिया पर गंभीर आरोप हैं। एक मामले में फाइल में अंतरिम आदेश का स्पष्ट उल्लेख होने के बावजूद पट्टा जारी किया गया। दूसरे मामले में आवेदक ने केवल 410 वर्ग फुट का आवेदन दिया था, लेकिन 1, 479 वर्ग फुट का पट्टा जारी किया गया। खसरा नंबर 391/9 के प्लानिंग एरिया से बाहर भी पट्टा जारी करने का आरोप है। इसके अलावा 17 मार्च 2023 को कथित रूप से जारी किए गए पट्टे की मूल फाइल रिकॉर्ड से गायब है, जिसके लिए एफआईआर भी दर्ज करवाई गई।

हिन्दुस्थान समाचार / सतीश