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रायगढ़, 22 अगस्त (हि.स.)। पुलिस अधीक्षक दिव्यांग कुमार पटेल के निर्देशन पर आज शुक्रवार काे उप पुलिस अधीक्षक (साइबर) अनिल विश्वकर्मा के नेतृत्व में कृषि कॉलेज एवं अनुसंधान केंद्र रायगढ़ में साइबर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कॉलेज के डीन डॉ. एके सिंह और प्राध्यापकों ने अतिथियों का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। कार्यक्रम में डीएसपी अनिल विश्वकर्मा, प्रधान आरक्षक दुर्गेश सिंह और आरक्षक नवीन शुक्ला ने छात्र-छात्राओं को बढ़ते साइबर अपराधों के बारे में जानकारी दी।
डीएसपी विश्वकर्मा ने बताया कि आजकल साइबर अपराधी विभिन्न तरीकों से आम लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। इसमें एटीएम क्लोनिंग, यूपीआई फ्रॉड, फर्जी कस्टमर केयर नंबर, ओटीपी साझा करवाकर बैंक खाते खाली करना, सोशल मीडिया प्रोफाइल हैक कर ब्लैकमेल करना और ऑनलाइन शॉपिंग ठगी, नकली जॉब ऑफर देकर पैसे ऐंठना, क्रिप्टो और शेयर मार्केट में फर्जी निवेश दिखाकर ठगना, और म्यूल अकाउंट का इस्तेमाल कर अपराध की कमाई को घुमाना शामिल है। उन्होंने डिजिटल अरेस्ट जैसे नए तरीकों की भी जानकारी दी, जिसमें अपराधी खुद को पुलिस अधिकारी या सरकारी एजेंसी बताकर लोगों को धमकाते हैं।
कार्यक्रम में उन्होंने रायगढ़ में ऑनलाइन ठगी के केस के बारे में बताया और छात्रों को साइबर सुरक्षा के बुनियादी नियम समझाए गए—अनजान लिंक या क्यूआर कोड स्कैन न करना, किसी भी कॉल पर अपनी बैंकिंग जानकारी या ओटीपी न बताना, संदिग्ध ऐप डाउनलोड करने से बचना, मजबूत पासवर्ड और टू-स्टेप वेरीफिकेशन का इस्तेमाल करना तथा साइबर अपराध का शिकार होने पर तुरंत 1930 हेल्पलाइन या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराना।
छात्र-छात्राओं ने भी ऑनलाइन फ्रॉड से जुड़े सवाल पूछे जिनका उत्तर अधिकारियों ने सरल शब्दों में देकर उनकी शंकाओं का समाधान किया। प्रधान आरक्षक दुर्गेश सिंह ने वास्तविक घटनाओं का उदाहरण देते हुए समझाया कि कैसे असावधानी से लोगों की मेहनत की कमाई कुछ ही मिनटों में ठग ली जाती है और जागरूकता ही इसका सबसे बड़ा बचाव है।
पुलिस ने कहा कि साइबर अपराधियों से निपटने के लिए तकनीकी जांच और कानूनी कार्रवाई तो की जा रही है, लेकिन सबसे प्रभावी उपाय यही है कि हर व्यक्ति खुद जागरूक और सतर्क बने।
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हिन्दुस्थान समाचार / रघुवीर प्रधान