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- सुप्रीम कोर्ट की सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष ने की सड़क सुरक्षा से जुड़े मामलों की समीक्षा
नर्मदापुरम, 2 अगस्त (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय की सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष और पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे ने कहा कि सड़क हादसों में जनहानि होना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर हम मानवीय दृष्टिकोण से देखें तो सड़क हादसों में केवल पीड़ित ही नहीं बल्कि उसका पूरा परिवार भी इस विपत्ति के कारण कष्टों का सामना करता है। सड़क पर चलने वाले हर एक व्यक्ति का जीवन बहुत ही बहुमूल्य है। किसी अन्य की गलती से सड़क पर चलने वाले निर्दोषों की मृत्यु होना या जीवन भर के लिए हादसे की विभीषिका झेलना न्यायसंगत नहीं है। इस स्थिति को सुधारना हमारी साझा जिम्मेदारी है।
न्यायमूर्ति सप्रे शनिवार को नर्मदापुरम प्रवास के दौरान कलेक्टर कार्यालय के सभा कक्ष में सड़क सुरक्षा से जुड़े मामलों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने जिला सड़क सुरक्षा समिति के साथ बैठककर जिले में पिछले पांच वर्षों में हुए हादसों उनके कारण तथा हादसों के दौरान हुई मृत्यु की विस्तार पूर्वक समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने पिछले वर्षों में सड़क सुरक्षा समिति की आयोजित बैठकों की जानकारी भी ली तथा उन बैठकों के दौरान सड़क सुरक्षा से जुड़े हुए मामलों में क्या सुधार कार्य किए गए हैं इसकी जानकारी भी ली।
बैठक में कलेक्टर सोनिया मीना द्वारा बताया गया कि पूर्व में आयोजित बैठकों के दौरान 25 से अधिक ब्लैक स्पॉट्स को चिन्हित किए गए थे, उन्हे खत्म कर दिया गया है। केवल एक ब्लैक स्पॉट शेष है, जिसे खत्म करने के लिए बनाई गई कार्ययोजना पर काम किया जा रहा है। न्यायमूर्ति सप्रे ने अधिकारियों से कहा कि आप सभी को यह सुनिश्चित करना है कि सड़क हादसे क्यों हो रहे हैं, उनके कारण क्या हैं और उन्हें कैसे रोका जा सकता है। इसके लिए व्यापक कार्य योजना बनाकर उसे गंभीरता से क्रियान्वित करें। 6 माह बाद सड़क हादसों में मृत्यु दर तथा हादसों की संख्या का फिर से आकलन किया जाएगा। इस अवधि में प्रयास करें कि सड़क हादसों में न्यूनतम मृत्यु हो अथवा मृत्यु दर को शून्य ही कर दिया जाए।
बैठक में न्यायमूर्ति श्री सप्रे ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु के लिए बिना हेलमेट के यात्रा, बिना सीट बेल्ट के यात्रा, निर्धारित गति सीमा से अधिक गति से गाड़ी चलाना तथा ड्रिंक एंड ड्राइव जैसे कारण भी प्रमुख है। इन सब की अतिरिक्त इंजीनियरिंग फैलियर भी सड़क हादसों को आमंत्रित करने की एक प्रमुख वजह है। उन्होंने कहा कि खराब इंजीनियरिंग तथा गुणवत्ता हीन सड़कों के निर्माण के लिए संबंधितों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई भी की जाना सुनिश्चित किया जाए।
न्यायमूर्ति सप्रे ने कहा कि मध्य प्रदेश सड़क हादसों की संख्यात्मक तुलना में पूरे देश में दूसरे नंबर पर है। उन्होंने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जाना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सीमित जनसंख्या वाले नगरों में कुछ हादसों में हेलमेट न होने के कारण मृत्यु होना भी बहुत गंभीर विषय है। आम जनमानस के बीच यह जागरूकता लाई जाए कि हेलमेट लगाने से दुर्घटनाओं में जनहानि को रोका जा सकता है।
उन्होंने कई पूर्व दुर्घटनाओं का उदाहरण देते हुए बताया कि तुलनात्मक आंकड़े दिखाते हैं कि हेलमेट न लगाने वालों से हेलमेट लगाने वाले व्यक्तियों के दुर्घटना के बाद बचने के अवसर अधिक होते है। न्यायमूर्ति सप्रे ने कहा कि जन जागरूकता अभियान के माध्यम से हेलमेट की उपयोगिता लोगों को बताएं। समय समय पर हेलमेट वितरण भी करवाया जाए। सड़क हादसों में घायल होने वाले तथा जान गंवाने वाले लोगों में सबसे अधिक 20 से 45 आयु वर्ग के युवा होते हैं इसीलिए विशेष तौर पर युवाओं को हेलमेट ना पहने एवं अधिक गति से वाहन चलाने के दुष्प्रभावों से अवगत कराने के लिए उन्हें जागरूक करें। न्यायमूर्ति सप्रे ने कहा कि ड्रिंक एंड ड्राइव तथा यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध बिना किसी दबाव के सख्त से सख्त कार्यवाही की जाना भी सुनिश्चित करें।
बैठक के अंत में कलेक्टर ने न्यायमूर्ति सप्रे का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आपके विचार एवं सड़क सुरक्षा के लिए दिए गए सुझाव अत्यंत बहुमूल्य है। निश्चित रूप से आपके निर्देशों के परिपालन में जिला प्रशासन सड़क हादसों में कमी लाने के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार कर उस पर अमल करेगा तथा आगामी माहों में सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर