घरेलू सहायिका यौन उत्पीड़न मामले में पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को आजीवन कारावास
Prajwal


-बेंगलुरु की विशेष अदालत ने सुनाई सजा

-11 लाख रुपये का लगाया जुर्माना

बेंगलुरु, 02 अगस्त, (हि.स.)। बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के निष्कासित नेता और पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को घरेलू सहायिका से दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने रेवन्ना को शुक्रवार को दोषी करार दिया था।

बेंगलुरु की विशेष अदालत ने आज जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को सेक्स टेप कांड में उम्रकैद की सजा सुनाई है। होलेनरसिपुरा ग्रामीण पुलिस स्टेशन में दर्ज रेप के केस में यह फैसला सुनाया गया है। अदालत ने दोषी प्रज्वल रेवन्ना को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(के) और 376(2)(एन) के तहत यह सजा दी है। प्रज्वल रेवन्ना पर 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। अदालत ने कहा कि पीड़िता को 7 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।

दोषी प्रज्वल रेवन्ना पर आईपीसी की धारा 376 (2)(के) के तहत आजीवन कारावास और 5 लाख रुपये का जुर्माना, धारा 376(2)(एन) के तहत बार-बार बलात्कार के लिए आजीवन कारावास और 5 लाख रुपये का जुर्माना, आईपीसी की धारा 354(ए) के तहत 3 साल की कैद और 25 हजार रुपये का जुर्माना, आईपीसी की धारा 354 (बी) के तहत 7 साल की कैद और 50 हजार रुपये का जुर्माना, आईपीसी की धारा 354 (सी) के तहत 3 साल की कैद और 25 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 506 के तहत 2 वर्ष का कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माना, धारा 201 के तहत 3 साल की कैद और 25 हजार रुपये जुर्माना और आईटी अधिनियम की धारा 66(ई) के तहत 3 साल की सजा एवं 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

दरअसल, रेवन्ना परिवार के फार्महाउस में काम करने वाली 48 वर्षीय घरेलू सहायिका ने उन पर बार-बार बलात्कार और वीडियो रिकॉर्डिंग के आरोप लगाए थे। विशेष जांच दल (एसआईटी)ने मई 2024 में प्रज्वल को गिरफ्तार किया था। फॉरेंसिक और डीएनए साक्ष्य में साबित हुआ था कि रेवन्‍ना ने इस वारदात को अंजमा दिया। यह सजा रेवन्‍ना पर दर्ज चार मामलों में से पहली है।

रेवन्ना परिवार की घरेलू सहायिका के यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले की जांच में पाया गया कि प्रज्वल ने इस कृत्य को अपने मोबाइल फोन पर वीडियो रिकॉर्ड भी किया था। एसआईटी ने प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (2) (के) के तहत एक महिला पर प्रभुत्व रखने और उसके साथ बलात्कार करने के लिए और 376 (2)(एन) के तहत एक ही महिला के साथ बार-बार बलात्कार करने के लिए, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66-ई और अन्य अपराधों के तहत चार्जशीट दाखिल की थी।

जेडीएस के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी सिलसिलेवार बलात्कार के आरोप लगे थे। कथित तौर पर यौन उत्पीड़न करते हुए उनके अश्लील वीडियो वायरल हुए थे। इनमें से एक मैसूर के केआर नगर की एक महिला के साथ बलात्कार का आरोप है। शिकायत दर्ज कराई गई थी कि महिला का अपहरण कर उसे हुंसूर के पास एक फार्महाउस में रखा गया था, ताकि बलात्कार का मामला उजागर न हो।

इस मामले में प्रज्वल के पिता और राज्य के पूर्व मंत्री एचडी रेवन्ना और मां भवानी रेवन्ना समेत कुल 9 आरोपी हैं। एचडी रेवन्ना और भवानी रेवन्ना ज़मानत पर हैं। मुख्य आरोपी प्रज्वल रेवन्ना एक साल से बेंगलुरु की परप्पना अग्रहारा जेल में बंद है।

पुलिस ने इस मामले में प्रज्वल को 31 मई, 2024 को गिरफ्तार किया था। अब उसे दोषी पाया गया है और सजा सुनाई गई है। प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ चार मामले दर्ज किए गए थे। मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड किए गए यौन उत्पीड़न और बलात्कार के आरोपों से जुड़े तीन अलग-अलग मामलों की अभी भी जांच चल रही है। उनका फैसला अभी आना बाकी है।

गौरतलब है कि विशेष अदालत के न्यायाधीश संतोष गजानन भट्ट ने मात्र 4 महीने के रिकॉर्ड समय में फैसला सुनाया है। इसके साथ ही, 4 मामलों में से एक में फैसला सुनाया गया है, जिसमें तीन बलात्कार के मामले और एक यौन उत्पीड़न का मामला शामिल है। अदालत ने शुक्रवार को प्रज्वल को दोषी ठहराया था।

अदालत की ओर से फैसला सुनाए जाने से पहले अभियोजन पक्ष के वकील बीएन जगदीश और एसपीपी अशोक नायक ने दलीलें पेश कीं और अदालत से प्रज्वल को अधिकतम सजा देने का अनुरोध किया। इसके बाद प्रज्वल की वकील नलिनी मायागौड़ा ने अपनी दलील पेश करते हुए अनुरोध किया कि सजा सुनाते समय दोषी के राजनीतिक भविष्य, उम्र आदि को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

अदालत ने प्रज्वल की राय मांगी, तो प्रज्वल ने अदालत से कहा कि जब वे सांसद थे, तब किसी ने कोई आरोप नहीं लगाया था। तब उन पर आरोप क्यों नहीं लगाए गए? उन्होंने सवाल उठाया कि चुनाव के दौरान उन्होंने ऐसा क्यों किया? प्रज्वल ने कहा कि अदालत जो भी फैसला लेगी, उसे वे स्वीकार करेंगे।

इस बीच प्रज्वल रेवन्ना के वकील ने कहा है कि वे विशेष अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे और अदालत से सज़ा पर रोक लगाने और उसे रद्द करने के अदालत से अपील करेंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश महादेवप्पा