राजस्थानी भाषा संस्कृति और अपणायत का प्रतीक: पंचारिया
jodhpur


उरड़ाट सतसई नेक जी रा सोरठा पुस्तक का लोकार्पण

जोधपुर, 2 अगस्त (हि.स.)। राज्यसभा के पूर्व सांसद और भाजपा नेता नारायण पंचारिया ने कहा कि राजस्थानी भाषा एक समृद्ध भाषा है और राजस्थानी संस्कृति और अपणायत का प्रतीक है। उन्होनें आम लोगों से आह्वान किया कि राजस्थानी भाषा को साहित्य और परिवार में इसको बोलना चाहिये जिससे भाषा और संस्कृति बरकरार रहे। वो हिन्दी व राजस्थानी साहित्यकार नन्दकिशोर शर्मा नेक के सहस्र चन्द्र दर्शन महोत्सव कार्यक्रम में उरड़ाट सतसई नेक जी रा सोरठा काव्य कृति और न्याय शा के प्रणेता महर्षि गौतम चालीसा के तिलक नगर स्थित सामुदायिक भवन में आयोजित लोकार्पण समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि सोरठा काव्य की उत्तम विधा है। वर्तमान में हमने साहित्य पढऩा कम कर दिया है। साहित्य ही संस्कार व संस्कृति जीवित रखता है। समारोह की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार पदम मेहता ने कहा कि केवल राजस्थानी भाषा में ही सम्बोधन साहित्य लिखा गया है। सम्बोधन साहित्य का उदाहरण देते हुए बताया कि राजिया रा दूहा, चकरिया रा दूहा उसी श्रृंखला में नेकजी रा सोरठा भी राजस्थानी भाषा को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। कार्यक्रम में पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच, वरिष्ठ साहित्याकार सीताराम जोशी भी मंचासीन रहे।

पुस्तक भूमिका पर लेखक राजेंद्र कृष्ण जोशी ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ ईश वन्दना के साथ हुआ। पुस्तक के सम्पादक वरिष्ठ पत्रकार ललित शर्मा ने स्वागत भाषण दिया।

पुस्तक के द्वितीय सम्पादक श्रवण कुमार उपाध्याय ने कहा कि नन्दकिशोर शर्मा नेक द्वारा की गई शब्दों की सेवा और ज्ञान की साधना भारतीय संस्कृति के अमर मंत्र है, जो सदियों तक विद्वानों के मार्ग को आलोकित करेगी। अतिथियों का स्वागत राजस्थानी परम्परा के अनुसार साफा व माल्यार्पण कर किया गया। धन्यवाद जगदगुरू रामानंदाचार्य राजकीय संस्कृत विश्वविधालय की अस्सिटेंट प्रोफेसर डा. वंदना शर्मा ने दिया। कार्यक्रम संचालन वरिष्ठ साहित्यकार और नाट्यकर्मी जितेन्द्र जालोरी ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार / सतीश