बुंदेलखण्ड के साथ संगमनगरी में बाढ़ से जनजीवन प्रभावित, प्रधानमंत्री ने काशी के हालात की ली जानकारी
बाढ़ काे लेकर राहत कार्य करते अधिकारीगण।


लखनऊ, 02 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड से लेकर पूर्वांचल के इलाकों में पहाड़ों और स्थानीय स्तर पर हो रही बारिश का असर दिखने लगा है। गंगा, यमुना, बेतवा सहित स्थानीय नदियों में उफान के चलते बाढ़ आने से औरैया, बांदा, प्रयागराज, जालौन जिले में स्थिति काफी खराब है। इन जिलों में सैकड़ों गांवों में नदियों का पानी घुसने से जनजीवन प्रभावित हुआ है। जिला एवं पुलिस प्रशासन बाढ़ शिविरों में लोगों को विस्थापित कर राहत और बचाव कार्य चलाया जा रहा है। मौसम विभाग ने अगले 16 घंटे मध्य उत्तर प्रदेश के प्रयागराज सहित 35 जिलों में गर्जन एवं अचानक तेज हवा के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना जताई है। इधर, वाराणसी दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काशी में बाढ़ की जानकारी अधिकारियों से लेते हुए राहत कार्य तेजी से करने के निर्देश दिए हैं।

लखनऊ मौसम विभाग केंद्र के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश में बारिश और लगातार पहाड़ों से आ रहे पानी के चलते गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। राजस्थान में लगातार हो रही बारिश और कोटा बैराज से पानी छोड़ने के कारण यमुना और बेतवा नदियों में उफान आ गया है। इसके चलते यूपी के बुंदेलखण्ड में बांदा, जालौन, औरैया में युमना और बेतवा नदियां कहर बन गई हैं। नदियों में उफान के चलते इन जिलों के आसपास ​इलाकों में बाढ़ की स्थिति हो गई है। प्रयागराज में भी गंगा और यमुना के उफनाने का असर जनजीवन पर पड़ा है। अभी इन इलाकों में स्थानीय स्तर मानसून की बारिश के आसार तीन अगस्त को बने हुए हैं। इसके साथ ही प्रदेश के 35 जिलों में मेघगर्जन के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।

बुंदेलखण्ड की नदियों ने मचाई तबाही

बांदा​ जिले में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर करीब ढाई मीटर ऊपर बह रहा है। महज एक रात में जलस्तर में डेढ़ मीटर की खतरनाक बढ़त दर्ज की गई, जिससे जिले के दो दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। सैकड़ों कच्चे मकान पानी में समां गए हैं और कई गांव टापू बन चुके हैं। जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है। पीड़ितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। शनिवार को सवेरे 8 बजे यमुना का जल स्तर 102.68 मी. दर्ज किया गया। यमुना का खतरे का निशान 100 मीटर है।

जालाैन जिले में यमुना नदी में बढ़ते जलस्तर के कारण कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। इस संकट की स्थिति में जिला व पुलिस प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधियों ने मिलकर राहत और बचाव कार्यों को तेज कर दिया है। कालपी तहसील के कई गांव यमुना नदी के बढ़ते पानी से जलमग्न हो गए हैं। बाढ़ की स्थिति काे देखने गए कमिश्नर विमल दुबे और डीआईजी ने प्रभावित परिवारों के बीच राहत सामग्री का वितरण किया। उन्होंने न केवल बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया, बल्कि राहत शिविरों, स्वास्थ्य सेवाओं और कम्युनिटी किचन की व्यवस्था का भी निरीक्षण किया।

जालौन से सटे औरैया जिले में यमुना नदी का जलस्तर कम हुआ है। केंद्रीय जल आयोग की ओर से शनिवार सुबह आठ बजे जारी रिपोर्ट के अनुसार, यमुना का जलस्तर 117.39 मीटर दर्ज किया गया, जो शुक्रवार के मुकाबले 12 सेंटीमीटर कम है। जलस्तर में कमी से संकेत मिल रहे हैं कि बाढ़ की स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो सकती है। यह खबर लाेगाें काे राहत पहुंचा रही है। हालांकि खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है, इसलिए प्रशासन लगातार निगरानी बनाए हुए हैं।

जिलाधिकारी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि यमुना नदी का जलस्तर कम हो रहा है। यह प्रशासन और नदी के आसपास के रहने वाले ग्रामीणों के लिए राहत भरी खबर है, लेकिन प्रशासन के अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रखा गया है ताकि किसी भी स्थिति से निपटा जा सके।

प्रयागराज जिले में चेतावनी बिंदु को पार कर गंगा और यमुना ऊपर बह रही हैं। इससे निचले इलाके में बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। खतरे काे लेकर जिलाधिकारी मनीष वर्मा हर एक घंटे का अपडेट ले रहें है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नाव, एनडीआरएफ की टीमें लगी हुई हैं। जिला सूचना विभाग की ओर से शनिवार काे चार बजे बाढ़ काे लेकर जानकारी दी गई, जिसमें बताया गया कि गंगा के फाफामऊ घाट पर जलस्तर 84.96, छतनाग 84.32 मीटर पर बह रही हैं। जबकि यहां गंगा नदी का खतरे का बिन्दु फाफामऊ 84.738 मी. और छतनाग-84.738 मी. है। वहीं यमुना नदी का जलस्तर नैनी में 85.06 पर पहुंच गया है। जबकि यमुना नदी का खतरे का बिन्दु 84.738 मी. है।

मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हर्षिका सिंह ने बताया कि शनिवार को गंगा एवं यमुना का जल स्तर खतरे का निशान पार कर गया है। इससे कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। बाढ़ से प्रभावित 431 परिवाराें काे राहत शिविराें में पहुंचाया गया है। इन परिवाराें की संख्या की बात की जाए ताे 1495 लोग शिविराें में शरण लिए हुए हैं। जबकि बाढ़ से 13 गांवों का आवागमन प्रभावित हुआ है।

प्रधानमंत्री ने काशी में आई बाढ़ और राहत कार्य की ली जानकारी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा और वरुणा नदी के बढ़ते जलस्तर और बाढ़ की विकट स्थिति को लेकर गहरी चिंता जताई है। शनिवार को सेवापुरी ब्लॉक के बनौली गांव में आयोजित जनसभा में महज तीन घंटे के लिए आए प्रधानमंत्री ने वाराणसी कमिश्नर एस. राजलिंगम और जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार से बाढ़ की स्थिति की विस्तृत जानकारी अकेले में ली।

प्रधानमंत्री मोदी ने अधिकारियों से बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्यों की तैयारियों, शिविरों में रह रहे लोगों की व्यवस्थाओं और स्थानीय प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी मांगी। उन्होंने यह सुनिश्चित करने को कहा कि प्रभावित लोगों को हरसंभव सहायता तत्काल और सुचारु रूप से उपलब्ध कराई जाए।

वाराणसी में गंगा नदी शुक्रवार शाम चेतावनी बिंदु (70.262 मीटर) को पार कर खतरे के निशान (71.262 मीटर) की ओर बढ़ रही है। शनिवार सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 70.87 मीटर दर्ज किया गया, जो हर घंटे औसतन तीन सेंटीमीटर की गति से बढ़ रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मोहित वर्मा