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आठवीं के बाद थम जाती है बेटियों की पढ़ाई,
स्कूल को 10वीं तक अपग्रेड करने की मांग
हिसार, 2 अगस्त (हि.स.)। हांसी उपमंडल के गांव
ढाणी कुतुबपुर स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय को अपग्रेड कर दसवीं कक्षा तक करने की
मांग पर स्कूल में पढ़ने वाली व स्कूल छोड़ चुकी बेटियों व उनके परिजनों ने स्कूल के
बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने बताया कि ढाणी कुतुबपुर गांव में
मिडिल स्कूल होने के चलते आठवी कक्षा के बाद बेटियों की शिक्षा मजबूरीवश बंद हो जाती
है क्योंकि गांव में आठवी कक्षा तक का स्कूल है और आसपास के गांव या क्षेत्र में कोई
हाई स्कूल नहीं है।
छोटी उम्र में अभिभावक अपनी बेटियों को दूर दराज के क्षेत्रों में
अपनी बेटियों को अकेले भेजने से डरते हैं जिसके चलते गांव की अधिकतर लड़कियों की पढ़ाई
आठवीं कक्षा के बाद बंद हो जाती है। स्कूल के आगे एकत्रित हुए ग्रामीणों ने शनिवार
को कहा कि लड़के तो किसी तरह आसपास के गांवों में पढ़ाई करने के लिए चले जाते हैं लेकिन
लड़कियों को दूर भेजने को लेकर पेरेंट्स सहज नहीं होते। इससे गांव की दर्जनों बेटियों
की पढ़ाई अधूरी रह जाती है। इसी के चलते स्कूल छोड़ चुकी दर्जनों बच्चियों अभिभावकों
ने स्कूल एकत्रित हो प्रदर्शन करते हुए सरकार से गांव के स्कूल को अपग्रेड करने की
मांग की ताकि गांव की बेटियों का आगे पढ़ने का सपना पूरा हो सके।
स्कूल का परीक्षा परिणाम रहता है 100 प्रतिशत
गांव के सरपंच अजय पंवार ने बताया कि लगभग दो
साल पहले ग्राम पंचायत ने रेजुलेशन पास कर स्कूल अपग्रेड की मांग तत्कालीन शिक्षा मंत्री
कृष्ण लाल गुर्जर तक पहुंचाई थी लेकिन आज तक शिक्षा मंत्री या विभाग द्वारा उस पर कोई
कार्रवाई नहीं की गई है। गांव की सुनीता, जो इसी स्कूल से पढ़कर निकली हैं और अब यहीं
ड्राइंग टीचर हैं, ने बताया कि पिछले कई सालों से यह स्कूल सिर्फ आठवीं कक्षा तक ही
सीमित है जबकि हमारे स्कूल का रिजल्ट हर बार 100 प्रतिशत रहता है, फिर भी इसे अपग्रेड
नहीं किया गया। यदि इसे हाई स्कूल बना दिया जाए तो हर साल गांव की दर्जनों बच्चियां
आगे की पढ़ाई कर पाएंगी।
गांव के युवा सामाजिक कार्यकर्ता राहुल शर्मा
ने बताया कि वे गांव के स्कूल को अपग्रेड करने की मांग पर सीएम, शिक्षा मंत्री और पीएमओ
तक ट्वीट कर उठा चुके है लेकिन अभी तक उनके द्वारा किए गए ट्वीट का कहीं से कोई जवाब
नहीं मिला है। ग्रामीणों ने सरकार से अपील की है कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे नारे तभी सार्थक होंगे जब धरातल पर बेटियों को पढ़ने का अवसर मिलेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर