एपीएस दमाना में समावेशी शिक्षा पर परिवर्तनकारी दो दिवसीय सीबीएसई क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन
कारयकरम में भाग लेने वाले अतिथिगण आर अनय््््


जम्मू, 2 अगस्त (हि.स.)। आर्मी पब्लिक स्कूल दमाना ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई), चंडीगढ़ के सहयोग से स्कूल के एवी कक्ष में एक गतिशील दो दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य समावेशी शिक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करना और शिक्षकों को कक्षा में विविध शिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रभावी रणनीतियों से लैस करना था।

कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानाचार्या श्रीमती पुष्पिंदर कौर, उप-प्रधानाचार्या श्रीमती शालू कपूर और प्रधानाध्यापक श्रीमती अनुरीता कौल द्वारा सम्मानित संसाधन व्यक्तियों के साथ पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। एपीएस दमाना के छात्रों द्वारा प्रस्तुत एक भावपूर्ण स्वागत गीत ने उद्घाटन समारोह में गरिमा और जीवंतता भर दी।

इन ज्ञानवर्धक सत्रों का संचालन दो कुशल संसाधन व्यक्तियों द्वारा किया गया श्रीमती गीता शर्मा प्रधानाचार्य आर्मी पब्लिक स्कूल अखनूर और एक मान्यता प्राप्त सीबीएसई संसाधन व्यक्ति जिन्होंने उपस्थित लोगों को संबोधित किया और प्रत्येक शिक्षार्थी के समग्र विकास हेतु समावेशी प्रथाओं के महत्व पर बल दिया। उनके व्यापक अनुभव और अंतर्दृष्टि ने सभी उपस्थित लोगों को बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान किया। आशीष आनंद विशेष शिक्षक आर्मी पब्लिक स्कूल जम्मू कैंट और 2014 से भारतीय पुनर्वास परिषद में पंजीकृत एक पेशेवर ने आकर्षक और व्यावहारिक सत्र आयोजित किए। उन्होंने वास्तविक कक्षा परिवेश में समावेशी रणनीतियों के कार्यान्वयन के बारे में गहराई से बात की और विकलांग छात्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित किया।

दो दिनों के दौरान विभिन्न सीबीएसई-संबद्ध स्कूलों के 56 शिक्षकों ने इंटरैक्टिव और व्यावहारिक गतिविधियों की एक श्रृंखला में सक्रिय रूप से भाग लिया। इनमें समूह चर्चा, परिदृश्य-आधारित समस्या-समाधान और समावेशन से संबंधित कक्षा के अनुभवों का आदान-प्रदान शामिल था। कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों को छात्रों के बीच व्यक्तिगत अंतरों के प्रति संवेदनशील बनाना और लचीली शिक्षण विधियों को बढ़ावा देना था। इंटरैक्टिव गतिविधियों के माध्यम से प्रतिभागियों ने समावेशी शिक्षा में सैद्धांतिक ज्ञान और व्यावहारिक अंतर्दृष्टि दोनों प्राप्त की। इसने विचारों के आदान-प्रदान, चुनौतियों का समाधान करने और कक्षाओं में समावेशी दृष्टिकोण अपनाने के लिए एक मंच प्रदान किया।

सत्रों को अच्छी प्रतिक्रिया मिली। प्रतिभागियों ने सार्थक शिक्षण अनुभव के लिए आभार व्यक्त किया और सत्र के बाद सभी उपस्थित लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएँ साझा कीं। इस अवसर के महत्व को और बढ़ाते हुए विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती पुष्पिंदर कौर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि समावेशी शिक्षा केवल एक आवश्यकता नहीं बल्कि एक नैतिक ज़िम्मेदारी है। उन्होंने ऐसे शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों की अथक प्रतिबद्धता की सराहना की जहाँ हर बच्चा मूल्यवान, सम्मानित और समर्थित महसूस करे। अपने संबोधन में उप-प्रधानाचार्या श्रीमती शालू कपूर ने समावेशी शिक्षण के प्रति शिक्षकों की प्रतिबद्धता की सराहना की और उन्हें अपनी कक्षाओं में सीख को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।

प्रधान शिक्षक श्रीमती रिम्पी थपलू ने कार्यक्रम को सफल बनाने वाले सभी उपस्थित लोगों, प्रतिभागियों और योगदानकर्ताओं का धन्यवाद किया। राष्ट्रगान के गायन के साथ कार्यक्रम का समापन देशभक्ति और एकता के स्वर में हुआ। कार्यशाला का समापन एक आशावादी दृष्टिकोण के साथ हुआ जिसमें इस साझा विश्वास की पुष्टि हुई कि समावेशी शिक्षा केवल एक नीति नहीं बल्कि एक परिवर्तनकारी अभ्यास है-जो सहानुभूति, अनुकूलनशीलता और इस विश्वास से शुरू होता है कि प्रत्येक बच्चे में सीखने और आगे बढ़ने की क्षमता है।

हिन्दुस्थान समाचार / अमरीक सिंह