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नैनीताल, 18 अगस्त (हि.स.)। उच्च न्यायालय ने पारंम्परिक वन ग्रामों, खत्तों में आदिवासी जीवन व्यतीत कर रहे लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने के मामले में राज्य के प्रमुख वन संरक्षक को एक सप्ताह के भीतर एक्शन प्लान पेश करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्दर एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि पारंम्परिक वन गांवों व खत्तों में रह रहे लोगों को अपने मूलभूत अधिकारों की जानकारी नहीं है और अब तक सरकार भी वन अधिनियम 2006 के अनुसार उन्हें मूलभूत सुविधाएं देने के प्रति कोई कार्य नही कर रही है। जिस कारण वे बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं से वंचित हैं। उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी भी नहीं है। जिसके लिए व्यापक स्तर पर जनजागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने की जरूरत है। याचिका में कहा कि सरकार उन्हें अतिक्रमणकारी मानती है । जिससे उनके मन में हमेशा भय व डर रहता है। सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने पारंम्परिक वन ग्रामों में रह रहे लोगों की संख्या व उनके बेहतर जीवन यापन के लिए किए जा सकने वाली योजनाओं के सम्बंध में कार्य योजना पेश करने को कहा है।
.............. लता नेगी ---------------
हिन्दुस्थान समाचार / लता