परिसीमन के नाम पर लंबे समय तक स्थगित नहीं रख सकते पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव-हाईकोर्ट
जयपुर, 18 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि परिसीमन के नाम पर लंबे समय तक पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव स्थगित नहीं रखे जा सकते। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि परिसीमन प्रक्रिया समय पर पूरी हो, ताकि संवैधानिक प्रावधानों
हाईकाेर्ट


जयपुर, 18 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि परिसीमन के नाम पर लंबे समय तक पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव स्थगित नहीं रखे जा सकते। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि परिसीमन प्रक्रिया समय पर पूरी हो, ताकि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार समय पर चुनाव कराए जा सके। जहां पंचायत भंग होती है, वहां आदर्श रूप से छह माह के भीतर चुनाव होने चाहिए। अदालत ने कहा कि निवर्तमान सरपंचों को अपनी पंचायतों के दैनिक कार्य के प्रबंधन के लिए प्रशासक लगाया गया और पंचायतों के विघटन के छह माह बाद उन्हें प्रशासक पद पर बने रहने की अनुमति दी गई, लेकिन बाद में उन्हें तय प्रक्रिया का पालन किए बिना हटा दिया गया। अदालत ने याचिकाकर्ता प्रशासकों को पद से हटाने के आदेश को रद्द करते हुए पंचायती राज कानून की धारा 38 के तहत याचिकाकर्ताओं पर कार्रवाई की छूट दी है। अदालत ने कहा कि दो माह में याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुनने के बाद मामले में कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही अदालत ने आशा जताई है कि राज्य सरकार मामले में गौर करेगी। वहीं अदालत ने आदेश की कॉपी केन्द्रीय निर्वाचन आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग और मुख्य सचिव को भेजी है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश महावीर प्रसाद गौतम व 16 अन्य याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए दिए।

याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत मालपुरा व अन्य ने बताया कि सरपंचों का कार्यकाल पूरा होने के बाद विभाग ने चुनाव में देरी को देखते हुए गत 16 जनवरी को अधिसूचना जारी कर निवर्तमान सरपंचों को प्रशासक लगा दिया। वहीं बाद में उन्हें बिना जांच और सुनवाई का मौका दिए प्रशासक पद से हटा दिया गया। याचिका में कहा गया कि उनकी नियुक्ति की अधिसूचना वैधानिक रूप से मान्य थी। ऐसे में उन्हें बिना जांच हटाना अवैध है। जिसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि उन्हें दैनिक कार्यों के प्रबंधन के लिए प्रशासक लगाया गया था और जिस परिपत्र से उन्हें नियुक्त किया गया था, वह वैधानिक नहीं था। वहीं याचिकाकर्ताओं के खिलाफ जांच लंबित है। ऐसे में याचिकाओं को खारिज किया जाए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने प्रशासकों को पद से हटाने के आदेश को रद्द करते हुए अन्य दिशा-निर्देश दिए हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक