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प्रयागराज, 18 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आत्महत्या के लिए उकसाने और बलात्कार के गंभीर आरोपों से अनुज वर्मा को बरी कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने अपराध से उन्मुक्त करने की सत्र अदालत से अर्जी खारिज करने के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
मामला 2018 का है, जिसमें गाजीपुर जिले के सैदपुर थाने में एक 13 वर्षीय नाबालिग लड़की ने आत्महत्या कर ली तो परिवार की तरफ से दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। अदालत ने पाया कि उपलब्ध साक्ष्यों से आत्महत्या के लिए उकसाने या बलात्कार के आरोप साबित नहीं होते। मृतका ने अपने संदेश में बलात्कार का आरोप नहीं लगाया है।
किशोर न्याय बोर्ड द्वारा अनुज वर्मा को घटना के समय नाबालिग घोषित किया गया था। लड़की द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में अनुज से अपने प्रेम सम्बंध का जिक्र किया था, लेकिन किसी भी प्रकार के बलात्कार या उकसावे का आरोप नहीं लगाया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी बलात्कार के कोई निशान नहीं थे, न ही पुलिस ने कॉल डिटेल्स या इलेक्ट्रॉनिक सबूत जुटाए-परिवार व गवाहों के बयान भी अधिकतर सुनी-सुनाई बातों पर आधारित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे