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पूर्वी सिंहभूम, 17 अगस्त (हि.स.)। आनंद मार्ग प्रचारक संघ के तीन दिवसीय ब्लॉक स्तरीय सेमिनार में प्राण धर्म विषय पर वक्तव्य रखते हुए ट्रेनर सुनील आनंद ने रविवार को कहा कि लिव-इन रिलेशन भारतीय प्राण धर्म को झकझोर रहा है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव ने विवाह प्रथा की स्थापना कर महिलाओं को सम्मान दिया और एक संगठित सभ्यता की नींव रखी। उनके अनुसार, लिव-इन संस्कृति उसी वैवाहिक पद्धति का अपमान है जिसने भारत को आध्यात्मिक और सामाजिक गरिमा दी।
सुनील आनंद ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की आत्मा उसके प्राण धर्म में निहित होती है, जो मनुष्य को पशुत्व से उठाकर दिव्यता की ओर ले जाता है। आनंद मार्ग के अनुसार भारत की सभ्यता सदियों से साधना और आध्यात्मिक जीवन दृष्टि पर आधारित रही है। विदेशी शासन और भौतिकवादी शक्तियों ने भारत के प्राण धर्म को कमजोर करने का प्रयास किया, किंतु आनंद मार्ग इस परंपरा की रक्षा के लिए खड़ा है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि आनंद मार्ग जीवन को माया नहीं मानता बल्कि उसे सापेक्ष सत्य मानकर उसके समाधान में सक्रिय भागीदारी करता है। आज जब समाज भौतिकता और मानसिक तनाव से जूझ रहा है, तब मानव को उसकी आत्मचेतना से जोड़ना ही सच्चा धर्म है। आनंद मार्ग विश्व को आमंत्रित करता है कि हर राष्ट्र अपने विशिष्ट प्राण धर्म को सुरक्षित रखकर सार्वभौमिक मानव धर्म की स्थापना करे।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक