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पूर्वी सिंहभूम, 17 अगस्त (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश, जिसमें आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर शेल्टर होम में रखने की बात कही गई है, के खिलाफ रविवार को बिष्टुपुर स्थित रिगल मैदान के सामने कुत्ता प्रेमी सड़क पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने अपने साथ स्ट्रीट डॉग्स को भी लाया और हाथों में बैनर-पोस्टर लेकर नारे लगाए ।
कुत्ता प्रेमियों का कहना था कि शहर की गलियों और मोहल्लों में रहने वाले कुत्ते केवल इंसानों की सुरक्षा से जुड़े नहीं हैं, बल्कि भावनात्मक रूप से भी समाज का हिस्सा हैं। उन्हें विस्थापित करना अमानवीय होगा और उनके जीवन को खतरे में डाल देगा। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि आदेश लागू हुआ तो इंसान और जानवर के बीच वर्षों से चला आ रहा सह-अस्तित्व टूट जाएगा। उन्होंने साफ कहा कि कुत्तों का विस्थापन किसी भी हालत में समाधान नहीं है। इसके बजाय प्रशासन को टीकाकरण, नसबंदी और देखभाल केंद्रों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
इस मौके पर बड़ी संख्या में पशु अधिकार कार्यकर्ता, समाजसेवी, महिलाएँ, छात्र और युवा शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में कहा कि कुत्तों को समस्या नहीं बल्कि “सहजीवन का हिस्सा” समझा जाना चाहिए। कुत्ता प्रेमियों ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यदि प्रशासन ने आदेश लागू कर जबरन कुत्तों को हटाने की कोशिश की, तो वे शांतिपूर्ण आंदोलन को और तेज करेंगे।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2025 को आदेश दिया था कि दिल्ली-एनसीआर में सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर टीकाकरण और नसबंदी के बाद शेल्टर होम में रखा जाए तथा दोबारा उन्हें सड़कों पर न छोड़ा जाए। अदालत ने प्रशासन को छह से आठ सप्ताह के भीतर कार्रवाई पूरी करने का निर्देश दिया है। यही आदेश अन्य राज्यों और शहरों में लागू होने की संभावना ने पशु प्रेमियों की चिंता और विरोध को तेज कर दिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक