बलरामपुर जिेले में गणेश प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे मूर्तिकार
- बंगाली समाज अपने पूर्वजों की कला को बरकार रखने में जुटी तीसरी पीढ़ी - हूगली के गंगा नदी से चिकनी मिटटी से बनाते हैं प्रतिमा बलरामपुर, 17 अगस्त (हि.स.)। बलरामपुर जिले के ग्राम केरवाशिला में बंगाली समुदाय के लोग करीब कई दशकों से भगवान गणेश की मूर
केरवाशिला के मूर्तिकार दीपांकर कुमार


गणेश प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे मूर्तिकार


गणेश प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे मूर्तिकार


गणेश प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे मूर्तिकार


गणेश प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे मूर्तिकार


गणेश प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे मूर्तिकार


गणेश प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे मूर्तिकार


- बंगाली समाज अपने पूर्वजों की कला को बरकार रखने में जुटी तीसरी पीढ़ी

- हूगली के गंगा नदी से चिकनी मिटटी से बनाते हैं प्रतिमा

बलरामपुर, 17 अगस्त (हि.स.)। बलरामपुर जिले के ग्राम केरवाशिला में बंगाली समुदाय के लोग करीब कई दशकों से भगवान गणेश की मूर्तियां बनाते आ रहे हैं। अपने पूर्वजों के इस परंपरा को अब उनके तीसरी पीढ़ी जीवंत रख रही है। त्योहारी सीजन में मूर्तियां बनाकर अपनी जीविका चलाते है। गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को पूरे देश में मनाई जाएगी। मूर्तिकार भगवान गणेश की मूर्ति को अब अंतिम रुप देने में जुटे हैं।

हिन्दू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन 27 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगा। पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त को शुरू होगा और इसी दिन गणेश स्थापना की जाएगी।

बलरामपुर जिले के रामानुजगंज के मार्केट में इस बार भगवान गणेश की बड़ी मूर्तियों की मांग तेज है। जिससे मूर्तिकार भी डिमांड काे देखते हुए बड़ी मूर्तियों को ही बना रहे है। बड़ी मूर्तियों की रेट 16 हजार रुपये है। मूर्तिकारों का कहना है कि, इस बार छोटी मूर्तियों का डिमांड कम है जिससे बड़ी मूर्तियों को ही बना रहे हैं।

केरवाशिला के मूर्तिकार दीपांकर कुमार (45 वर्ष) बताते है कि, वे 20-25 वर्ष से भगवान की मूर्ति बनाते आ रहे हैं। हर त्योहारी सीजन में भगवान की मूर्ति बनाते है। इस बार छोटी मूर्तियों की मार्केट में डिमांड कम हो गई है। जिससे वे अब बड़ी मूर्तियों काे ही बना रहे हैं। इस बार सिर्फ 15 से 16 गणेश मूर्ति ही बना पाए है। बड़ी मूर्तियों की रेट करीब दस हजार से लेकर 16 हजार तक है।

दीपांकर बताते है कि, गणेश चतुर्थी, दशहरा, सरस्वती पूजा और काली पूजा में पूरे परिवार मिलकर मूर्ति बनाते हैं। उन्होंने कहा इससे आमदनी उतना नहीं हो पाता है। बस मन की खुशी और पूर्वजों के इस कला को जीवंत रख रहे है।

वहीं, दूसरे मूर्तिकारी प्रीतम सरकार (25 वर्ष) ने बताया कि, ये इनकी तीसरी पीढ़ी है। दादा जी के बाद माता जी और उनके काम में अब हम भी हाथ बटाने लगे है। पूरा परिवार मिलकर हम सभी भगवान की मूर्ति बनाते है।

मूर्तिकार प्रीतम सरकार बताते है कि, मूर्ति का ढांचा बनाने के लिए पुआल और बांस का इस्तेमाल किया जाता है। फिर उसके ऊपर मिट्टी से आकृति बनाई जाती है। चेहरे पर चिकनाहट के लिए कोलकाता के हुगली गंगा नदी से मिट्टी मंगाई जाती है। बीस किलो मिट्टी की रेट 350 रूपये फिलहाल चल रही है। सजावट का सामान लोकल या कोलकाता दोनों जगहों से मंगाई जाती है।

मूर्तिकार प्रीतम सरकार ने बताया कि, इस वर्ष गणेश चतुर्थी को लेकर लगभग 50 से 60 मूर्तियां बनाये हैं, जिसमें बड़ी मूर्तियां लगभग सभी की बुकिंग हो चुकी है। छोटी मूर्तियों की बुकिंग होना अभी बाकी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पांडेय