सुप्रीम कोर्ट एसआईआर मामले पर 13 अगस्त काे भी करेगा सुनवाई
नई दिल्ली, 12 अगस्त (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर मंगलवार की सुनवाई पूरी कर ली। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर कल यानि 13 अगस्त को भी सुनवाई करेगा। सुनवाई के
सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली, 12 अगस्त (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर मंगलवार की सुनवाई पूरी कर ली। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर कल यानि 13 अगस्त को भी सुनवाई करेगा।

सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने कहा कि लगता है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कार्रवाई को लेकर भरोसा का अभाव है। कोर्ट ने आरजेडी नेता मनोज झा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा कि 7.9 करोड़ मतदाताओं में से अगर 7.24 मतदाताओं ने विशेष गहन पुनरीक्षण की कार्रवाई में भाग लिया है, तो ये कहना गलत है कि एक करोड़ वोटर्स को मतदान करने से रोका जा रहा है। उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग की इस दलील से भी सहमति जाहिर की कि आधार और मतदाता पहचान पत्र नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

सुनवाई के दौरिन वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि एक विधानसभा क्षेत्र के 12 लोग जो जीवित हैं, उन्हें मृत बताकर उनका नाम वोटर लिस्ट से काटा गया है। कुछ लोग ऐसे हैं जो मृत हैं लेकिन उनका नाम लिस्ट में है। इस पर निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील राकेश द्विवेदी ने जीवित लोगों को मृत बताकर नाम काटने पर सफाई देते हुए कहा कि यह ड्राफ्ट रोल है। हमने नोटिस जारी किया है कि जिनको कोई आपत्ति है अपनी आपत्तियां बताएं, सुधार करने के लिए आवेदन जमा करें। ड्राफ्ट रोल में कुछ कमियां होना स्वाभाविक है। सिब्बल ने प्रक्रिया में खामियों पर दलील देते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड स्वीकार नहीं कर रहा है। मैं यदि बोल रहा हूं कि मैं नागरिक हूं तो ये उनका काम है जांच करना कि मैं नागरिक हूं या नहीं हूं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि अगर विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया गैरकानूनी है तो इस पूरी प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है। सिंघवी ने दलील दी कि आधार और वोटर कार्ड को पहचान का वैध दस्तावेज मानने में दिक्कत क्या है। यह बिल्कुल साफ है कि निर्वाचन आयोग इन्हें देखना नहीं चाहता, क्योंकि नागरिकता तय करने के लिए यह अपर्याप्त हैं। वरना, इसका कोई कारण नहीं है। तब जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह चुनाव आयोग नहीं कह रहा और न ही यह आधार एक्ट में लिखा है। तब सिंघवी ने कहा कि नागरिकता तय करना चुनाव आयोग के क्षेत्राधिकार में नहीं आता। चुनाव आयोग अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम कर रहा है।

सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय में चुनाव आयोग द्वारा मृत घोषित मतदाताओं की भी पेशी हुई। योगेंद्र यादव ने कोर्ट में अपनी दलील देते हुए एक महिला और एक पुरुष को पेश किया। दो ऐसे लोग कोर्ट में और मौजूद थे। चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि वोटर लिस्ट में इनका नाम जोड़ने के लिए आवेदन दीजिए, यहां ड्रामा मत कीजिए। यह ड्रामा कोर्ट में नहीं चलता। यह ड्रामा टीवी स्टूडियो में चल सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार/संजय

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी