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नई दिल्ली, 12 अगस्त (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने जांच एजेंसियों की ओर से वकीलों को नोटिस भेजने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि वकीलों की सुरक्षा जरुरी है, इसके लिए अलग से प्रावधान हैं। अगर वे अपराध में शामिल होते हैं, तो कोई सुरक्षा नहीं मिलनी चाहिए। मेहता ने कहा कि कोर्ट पूरे लीगल प्रोफेशन का अभिरक्षक है। तब कोर्ट ने कहा कि वो पूरे देश का अभिरक्षक है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और दूसरे वकीलों का पक्ष सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वरिष्ठ वकील प्रताप वेणुगोपाल और अरविंद दातार को नोटिस भेजा था। ईडी के नोटिस की बार एसोसिएशंस ने आलोचना की थी। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकार्ड एसोसिएशन ने प्रताप वेणुगोपाल और अरविंद दातार को भेजे गए नोटिस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए चीफ जस्टिस बीआर गवई को पत्र लिखा था। हालांकि, बाद में ईडी ने दोनों वकीलों को भेजे गए नोटिस को वापस ले लिया था।
दरअसल, ईडी का नोटिस केयर हेल्थ एंश्योरेंस की ओर से रेलिगेयर इंटरप्राइजेज के पूर्व चेयरपर्सन रश्मि सलूजा को इम्प्लाई स्टॉक ऑप्शन प्लान देने के मामले की जांच से जुड़ा है। इस मामले में एडवोकेट ऑन रिकार्ड प्रताप वेणुगोपाल हैं। अरविंद दातार ने अपनी सलाह में सलूजा को इम्प्लाई स्टॉक ऑप्शन प्लान देने का समर्थन किया था। अब इसका ईडी और इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (इरडा) दोनों जांच कर रहे हैं कि क्या 22.7 मिलियन का इम्प्लाई स्टॉक ऑप्शन प्लान नियमों का उल्लंघन करके तो जारी नहीं किया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी