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अब 23 सितंबर से होगी अंतिम निर्णय तक प्रतिदिन सुनवाई
भोपाल, 12 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2019-ओबीसी आरक्षण की संवैधानिक वैधता के मामले में मंगलवार को उच्चतम न्यायालय राज्य सरकार के तर्कों से सहमत होते हुए एवं मामले की गंभीरता को देखते हुए अंतिम सुनवाई 23 सितंबर 2025 (टॉप ऑफ़ द बोर्ड ) से रोज़ाना सुनवाई के लिए नियत की है।
राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज और महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने बताया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा ओबीसी आरक्षण पर स्थगन के कारण नई भर्तियों में आ रही दिक़्कत की गम्भीरता को देखते हुए जल्द सुनवाई की जाये । इसके बाद न्यायालय द्वारा इस मामले को प्रमुखता से आगे सुनवाई के लिए रखने का निर्णय लिया गया।
वहीं, इस संबंध में मध्यप्रदेश भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष ऊषा अग्रवाल ने जानकारी दी कि पिछड़े वर्ग के व्यापक हित में मध्य प्रदेश सरकार की ऐतिहासिक सफलता के रूप में हम आज के दिन को देख रहे हैं। क्योंकि आज ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में ऐतिहासिक सफलता की ओर मप्र आगे बढ़ता हुआ दिख रहा है।
उन्होंने कहा, “यह मामला मध्यप्रदेश लोक सेवा (एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2019 की संवैधानिक वैधता से जुड़ा है। राज्य सरकार के तर्कों से सहमत होकर उच्चतम न्यायालय ने इसे 23 सितंबर 2025 से “Top of the Board” पर प्रतिदिन सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। यह निर्णय न केवल कानूनी दृष्टि से मील का पत्थर है बल्कि लाखों लोगों और पिछड़े वर्ग के लिए नई उम्मीद, नया विश्वास और न्याय की गारंटी है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि वह सामाजिक न्याय, समान अवसर और पिछड़े वर्गों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए हर मोर्चे पर डटकर खड़ी है।”
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी