मुख्यमंत्री ने ओडिशा समुद्री जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और नवाचार गलियारा का किया शुभारंभ
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मुख्यमंत्री ने ओडिशा समुद्री जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और नवाचार गलियारा का किया शुभारंभ


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भुवनेश्वर, 12 अगस्त (हि.स.)। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मंगलवार को ओडिशा समुद्री जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और नवाचार गलियारा ( ओडिशा मरीन बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च एंड इनोवेशन कॉरिडोर) (ओम्ब्रिक ) का लोकार्पण किया। यह परियोजना राज्य सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की प्रमुख पहल है।

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ओडिशा को समुद्री जैव प्रौद्योगिकी (मरीन बायोटेक्नोलॉजी ) और नीली अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी) के क्षेत्र में वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। लोक सेवा भवन में आयोजित शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने ओम्ब्रिक को वैज्ञानिक समुदाय के लिए आशा की किरण बताया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक अनुसंधान कार्यक्रम नहीं है, बल्कि एक ऐसा मंच है, जहां ओडिशा के युवा उद्यमी स्थानीय संसाधनों पर आधारित, लेकिन वैश्विक मानकों को पूरा करने वाले मरीन बायोटेक स्टार्टअप्स की स्थापना कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल पर्यावरण संरक्षण, विज्ञान-आधारित पर्यटन, निवेश, रोजगार सृजन और तटीय आजीविका को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने इसे ओडिशा को तटीय नवप्रवर्तक (कोस्टल इनोवेटर) के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम बताया। उन्होंने कहा कि हम अपनी जैव विविधता का दोहन नहीं, बल्कि उसे संरक्षित कर, समझकर और जिम्मेदारी से उपयोग कर रहे हैं।

इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और भारत सरकार के साथ एक अनुसंधान सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही ओडिशा की छह प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ भी समझौते हुए, जो विशेष अनुसंधान केंद्रों के रूप में कार्य करेंगे।

• आईआईटी भुवनेश्वर – तटीय संसाधनों का मानचित्रण और पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य मूल्यांकन।

• एनआईटी राउरकेला – समुद्री सूक्ष्मजीवों की संवर्धन तकनीक और जैव सक्रिय यौगिकों का निष्कर्षण।

• आईआईएसईआर बेरहामपुर – अनूठे जीन की खोज और उच्च-मूल्य वाले समुद्री उत्पादों का अपस्केलिंग।

• आईएलएस भुवनेश्वर – मरीन माइक्रोबियल बायोरिपॉजिटरी की स्थापना और नवाचार को बढ़ावा।

• ब्रह्मपुर विश्वविद्यालय – समुद्री जैव विविधता का मानचित्रण और समुद्री जीवों के मेटाबोलाइट्स की पहचान।

• फकीर मोहन विश्वविद्यालय – भारतीय हॉर्सशू क्रैब की व्यावसायिक ब्रीडिंग तकनीक का विकास।

राज्य के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री कृष्ण चंद्र पात्रा ने कहा कि ओडिशा की 574 किलोमीटर लंबी तटरेखा में समृद्ध लेकिन अब तक अनछुए समुद्री जैव संसाधनों की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने ओम्ब्रिक को राज्य के समृद्ध भविष्य का ब्लूप्रिंट बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल अनुसंधान को व्यावसायिक उत्पादों में रूपांतरित करने के लिए लैब से बाजार की रणनीति अपनाएगी, जिसमें आईपी जनरेशन, स्टार्टअप इनक्यूबेशन और मेंटरशिप शामिल होगी। साथ ही यह तटीय समुदायों को प्रशिक्षण, शिक्षा और संरक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से जोड़कर उनकी आजीविका में सुधार और समुद्री संरक्षण को भी बढ़ावा देगी।

इस अवसर पर राज्य के मुख्य सचिव मनोज आहूजा, विकास आयुक्त अनु गर्ग, विभागीय सचिवगण और छह साझेदार संस्थानों के प्रमुख उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता महंतो