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जयपुर, 11 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने साइबर ठगी से जुड़ी धनराशि बैंक खाते में जमा होने पर संबंधित राशि के बजाए पूरा बैंक खाता फ्रीज करने से जुड़े मामले में राज्य सरकार और बैंक ऑफ महाराष्ट्र को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अदालत ने इनसे पूछा है कि क्या जांच एजेंसी के पत्र के आधार पर सीआरपीसी की धारा 102 के प्रावधानों की पालना किए बिना बैंक खाता फ्रीज किया जा सकता है। वहीं अदालत ने मामले में इच्छुक अधिवक्ताओं को भी अपना पक्ष रखने को कहा है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश पदम कुमार जैन की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता अक्षत शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता गोपालपुरा बाईपास पर कचौरी की दुकान संचालित करता है। उसका बचत खाता बैंक ऑफ महाराष्ट्र में हैं। गत जुलाई माह में बैंक ने उसे बिना कोई सूचना और नोटिस दिए उसका बचत खाता फ्रीज कर दिया। जब याचिकाकर्ता बैंक पहुंचा तो उसे जानकारी दी गई कि तेलंगाना साइबर क्राइम से बैंक को सूचना मिली है कि साइबर ठगी से जुड़ी करीब 4.5 हजार रुपए की राशि उसके खाते में ट्रांसफर की गई है। याचिका में कहा गया कि नियमानुसार यदि बैंक खाते में कोई विवादित राशि आती है तो पूरा बैंक खाता फ्रीज करने के बजाए विवादित राशि को ही फ्रीज किया जाना चाहिए। वर्तमान में ऐसे सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं, जब बैंक सिर्फ जांच एजेंसी के पत्र के आधार पर पूरे बैंक खाते को ही फ्रीज कर देता है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि चेन्नई पुलिस कमिश्नर ने ऐसे मामलों के लिए मशीनरी विकसित की है, लेकिन प्रदेश में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। इसके चलते उपभोक्ता को परेशानी होती है। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार और संबंधित बैंक को नोटिस जारी करते हुए इच्छुक वकीलों को पक्ष रखने को कहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक