विश्व की सभी भाषाओं की जननी है संस्कृत,संरक्षण व संवर्द्धन की आवश्यकता : उमेश झा
सहरसा, 10 अगस्त (हि.स.)।विश्व संस्कृत दिवस पर कहरा प्रखंड स्थित श्री भागीरथ प्राथमिक सह माध्यमिक संस्कृत विद्यालय चैनपुर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शारदा कान्त झा के नेतृत्व में संस्कृत दिवस पर प्रभात फेरी निकाली गई। तत्पश्चात गोष्ठी आयोजित हु
विश्व संस्कृत दिवस


सहरसा, 10 अगस्त (हि.स.)।विश्व संस्कृत दिवस पर कहरा प्रखंड स्थित श्री भागीरथ प्राथमिक सह माध्यमिक संस्कृत विद्यालय चैनपुर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

शारदा कान्त झा के नेतृत्व में संस्कृत दिवस पर प्रभात फेरी निकाली गई। तत्पश्चात गोष्ठी आयोजित हुई जिसमें वक्ताओं नें संस्कृत भाषा के संरक्षण व संवर्धन की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मिहिर कुमार झा उर्फ भगवान झा ने किया ।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानाध्यापक उमेश झा ने कहा कि संस्कृत भाषा विश्व की सभी भाषाओं की जननी है जो अध्यात्मिक,लौकिक एवं परलौकिक दृष्टिकोण सें समीचीन है,जो हमें विशुद्ध जीवन यापन के लिए प्रेरित करता है।उन्होंनें कहा कि चैनपुर संस्कृत साहित्य की धरती रही है।यहां एक से बढ़कर एक उद्भट विद्वान हुए जिनकी रचित पुस्तक आज भी शोध का विषय है।यहां संस्कृत विद्वानों को शिक्षा शास्त्री महामहिम एवं महामहोपाध्याय की उपाधि प्रदान की गई। जिनके सानिध्य में जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, काशी,वाराणासी सहित मिथिला के छात्र विद्यार्जन की।

उन्होंनें कहा कि संस्कृत भाषा वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं रोजगार युक्त है।उन्होंने कहा कि यहां मनुष्य की कौन कहे तोते भी संस्कृत में वार्तालाप करते थे।जिसका प्रमाण आज भी मौजूद है।यह बात पानी भर रहे महिलाओं ने संस्कृत के एक श्लोक के माध्यम सें आदि शंकराचार्य को बताई।जिसे सुनकर आदि शंकराचार्य मंत्रमुग्ध व काफी प्रभावित हुए।

झा ने कहा कि विदेशी आक्रतांओ ने संस्कृत भाषा को मिटाने के लिए गुरूकुल प्रथा को मिटाने का प्रयास किया लेकिन संस्कृत सृष्टिकाल से प्राकृत देववाणी एवं अमर भाषा है।वर्तमान समय में भी संस्कृत भाषा अपने अमरत्व के कारण कम्प्यूटर विज्ञान के लिए अहम भाषा सिद्ध हुई है।वही अंतरिक्ष से संवाद स्थापित संस्कृत भाषा के माध्यम से स्टीक व सफल साबित हुआ है।ऐसे में चैनपुर सदैव संस्कृत भाषा के शिक्षण कार्य को लेकर अग्रसर रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार / अजय कुमार