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--कोर्ट ने जिला प्रशासन व जी डी ए से मांगी इनके पुनर्वास की योजना
प्रयागराज, 01 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण व जिला प्रशासन को पब्लिक पार्क में 40-50 साल से अवैध कब्जा करके रह रहे समाज के अधिकांश कमजोर वर्ग के लोगों के पुनर्वास योजना पेश करने का निर्देश दिया है। तब तक मौके की यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है।
इसके साथ ही कोर्ट ने याचियों को किसी भी तृतीय पक्ष का हित सृजित न करने का आदेश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने नरेश कुमार व 18 अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
याचियों का कहना है कि वे सार्वजनिक भूमि पर जी डी ए बनने से पहले पिछले 40-50 वर्ष से मकान बनाकर रह रहे हैं। जिन्हें उप्र शहरी योजना एवं विकास कानून की धारा 26ए के अंतर्गत ध्वस्तीकरण की 16 जून 25 को नोटिस दी गई है।
जी डी ए ने कहा कि 172 लोगों को 6 सितम्बर 24 को नोटिस दी थी। जिसमें से 89 लोगो ने आपत्ति दाखिल की। विचार के बाद अवैध कब्जा हटाने के लिए नोटिस जारी की गई है। याचियों का तर्क है कि वे गरीब है और वर्षों से रह रहे हैं। ऐसे ही मामले में कृष्णवीर केस में कोर्ट ने पुनर्वास करने तक ध्वस्तीकरण पर रोक लगाई है। देवपाल केस में कोर्ट ने कौशाम्बी, गाजियाबाद की भावापुर बस्ती में 1962 में बनी अवैध कालोनी को मान्यता दी थी। कोर्ट ने कहा था वैकल्पिक आवास देने तक ध्वस्तीकरण नहीं होगा।
कोर्ट ने कहा लम्बे समय से यहां रहे गरीबों के आवास की वैकल्पिक व्यवस्था होने तक न हटाया जाए। प्रधानमंत्री आवास योजना में शर्तों के साथ आवास व्यवस्था की जा सकती है। कोर्ट ने जिला प्रशासन व जी डी ए से पुनर्वास योजना पेश करने का निर्देश दिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे