आवारा कुत्तों-जानवरों से हादसों पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
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जोधपुर, 01 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने आवारा कुत्तों व अन्य जानवरों की वजह से राज्य में लगातार बढ़ती घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए राज्य में बिगड़ती सडक़ व सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था को लेकर स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने सरकार, नगर निगमों, सभी जिम्मेदार एजेंसियों को तात्कालिक प्रभाव से कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने डॉग बाइट के मामलों को आधार बनाकर स्वप्रेरित संज्ञान (सुओ मोटो) मामला दर्ज करते हुए सडक़ परिवहन, नगरीय विकास, स्थानीय निकाय, जोधपुर-जयपुर-उदयपुर नगर निगमों सहित अन्य को नोटिस जारी किए हैं। मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।

हाईकोर्ट जस्टिस कुलदीप माथुर व जस्टिस रवि चिरानिया ने हाल ही में समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लिया। कोर्ट ने पाया कि आवारा कुत्ते और गाय न केवल शहरों बल्कि राज्य एवं राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी सडक़ सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं। इससे न सिर्फ आमजन की जान को खतरा है, बल्कि बड़ी दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। न्यायमूर्ति कुलदीप माथुर एवं न्यायमूर्ति रवि चिरानिया की बैंच ने कई संस्थाओं को नोटिस जारी किए है जिनमें सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया, राजस्थान शहरी विकास एवं आवासन विभाग, राजस्थान के स्थानीय निकाय निदेशक, नगर निगम जयपुर, जोधपुर, उदयपुर व अन्य संबंधित निकाय, राज्य परिवहन विभाग आयुक्त व अन्य शामिल है।

राजस्थान रोड सेफ्टी बिल, 2022 पर मांगा जवाब

राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि सडक़ दुर्घटनाओं को रोकने एवं आवारा पशुओं पर नियंत्रण हेतु राजस्थान रोड सेफ्टी बिल, 2022 तैयार किया गया है जिसमें विशेष प्रावधान रखे गए हैं। अदालत ने पूछा कि क्या यह बिल कानून का रूप ले चुका है या नहीं, इस पर अगली सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करनी होगी। अदालत में राज्य सरकार की ओर से आयुष गहलोत (एसोसिएट टू राजेश पंवार, अतिरिक्त महाधिवक्ता) तथा केंद्र सरकार की ओर से बीपी बोहरा ने पक्ष रखा।

कोर्ट की टिप्पणियां: समाज, प्रशासन, जि़म्मेदारी

कोर्ट ने कहा कि समाज में दो तबके हैं एक, जो कुत्तों एवं गायों को पालते-पोसते हैं। दूसरा, जो भय या पसंद न होने के चलते इन्हें सडक़ों पर नहीं चाहता। जिन लोगों के पास पालतू कुत्ते हैं, उनकी जिम्मेदारी है कि वे इनका टीकाकरण व देख-रेख करें, लेकिन कई मालिक यह कर्तव्य नहीं निभाते और कुत्तों को सडक़ पर छोड़ देते हैं, जिससे समस्या और बढ़ जाती है। कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य और अधिवक्ता प्रियंका बोराणा व हेली पाठक को इस संबंध में अमीकस क्यूरी नियुक्त किया है। उन्हें विस्तृत अध्ययन व कोर्ट की सहायता के निर्देश दिए गए हैं। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जोधपुर को प्रियंका बोराणा व हेली पाठक के अमीकस क्यूरी के रूप में नियुक्ति का औपचारिक आदेश पारित करने का आदेश दिया गया है। मामला 11 अगस्त को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार / सतीश