प्राचार्य पदस्थापना मामला:उच्च न्यायालय में सुनवाई टली, अब सोमवार को होगी अगली सुनवाई
प्राचार्य पदस्थापना मामला:उच्च न्यायालय में सुनवाई टली, अब सोमवार को होगी अगली सुनवाई


बिलासपुर , 1 अगस्त (हि.स.)। प्रदेश में प्राचार्य पदस्थापना को लेकर चल रहे विवाद पर उच्च न्यायालय में सुनवाई का सिलसिला लगातार जारी है। न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल की एकलपीठ में गुरुवार शाम मामले की सुनवाई हुई, जिसमें राज्य शासन और हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं की ओर से अपना पक्ष रखा गया। वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से एक बार फिर अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा गया, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने अगली सुनवाई सोमवार के लिए निर्धारित कर दी है।

राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने दलील दी कि प्रधान पाठक (मिडिल स्कूल) पद पर 5 वर्षों की सेवा को प्राचार्य पद के लिए पात्रता के रूप में रखा गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधान पाठक पद से व्याख्याता कोटे में वरिष्ठता का कोई नियम नहीं है। डिवीजन बेंच द्वारा निर्धारित मापदंडों और नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पहले ही खारिज किया जा चुका है और डिवीजन बेंच ने इन मापदंडों को विधिसम्मत ठहराया है। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि डिवीजन बेंच के निर्देशों के तहत वरिष्ठता सूची प्रकाशित कर दावा-आपत्तियां मंगाई गई थीं। याचिकाकर्ता नारायण प्रकाश तिवारी व्याख्याता पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और वरिष्ठता सूची में वह जूनियर हैं, लिहाजा वे पदोन्नति के पात्र नहीं हैं।

हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं की दलील-

हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अनूप मजूमदार ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किलों ने व्याख्याता पद पर 5 वर्षों की सेवा पूर्ण की है, जिससे पात्रता पर कोई प्रश्न नहीं उठता। प्रधान पाठक से व्याख्याता में वरिष्ठता स्थानांतरण विधिसम्मत नहीं है और डिवीजन बेंच के निर्देशों का पालन किया गया है। याचिकाकर्ता नारायण प्रकाश तिवारी की ओर से सभी पक्ष और तथ्य पहले ही प्रस्तुत किए जा चुके हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / Upendra Tripathi