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अजमेर, 31 जुलाई (हि.स.)। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह शरीफ में स्थित पुराने हुजरों की मरम्मत को लेकर दरगाह प्रबंधन कमेटी और खादिम समुदाय के बीच लंबे समय से चल रही खींचतान अब सुलझ गई है। दोनों पक्षों की सहमति के बाद तय किया गया है कि छठी शरीफ के बाद मरम्मत कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा।
अजमेर में बीते दिनों हुई औसत से अधिक वर्षा के कारण दरगाह परिसर के कई हुजरे जर्जर अवस्था में पहुंच गए थे, जिससे उनकी दीवारें और छतें धंसने की आशंका बनी हुई थी। दरगाह कमेटी और खादिम संस्थाओं विशेष रूप से अंजुमन दरगाह शरीफ ने जायरीन की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए इस पर गंभीर चिंता जताई थी। इन हुजरों में खादिम समुदाय के लोगों ने अपनी बैठकें बना रखे हैं, और यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में जायरीन का आना-जाना लगा रहता है। जर्जर भवनों से संभावित खतरे के मद्देनज़र दरगाह प्रशासन ने पूर्व में सावधानियाँ बरतने के लिए नोटिस भी जारी किए थे।
पीर सैयद नफीस मियां चिश्ती ने जानकारी दी कि हाल ही में दरगाह नाजिम मोहम्मद आदिल और सलीम साहब के साथ हुई बैठक में मरम्मत कार्य को लेकर पूर्ण सहमति बन गई है। खादिमों को निर्माण सामग्री उपलब्ध करा दी जाएगी, जिससे वे अपनी सुविधानुसार मरम्मत का कार्य शुरू कर सकेंगे।
गौरतलब है कि दरगाह शरीफ एक ऐतिहासिक एवं आस्था का केंद्र है, जिसकी इमारतें कई सौ वर्ष पुरानी हैं। समय-समय पर मरम्मत कार्य होते रहते हैं, किंतु हालिया अनियमित व भारी बारिश के कारण संरचनात्मक क्षति की आशंका बढ़ गई थी।
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हिन्दुस्थान समाचार / संतोष