फसल की रखवाली के लिए काजरी ने तैयार किया हाईटेक बीजुका
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घर बैठे मोबाइल से कर सकते हैं ऑपरेट, सोलर से होगा चार्ज, किसानों को मिलेगा लाभ

जोधपुर, 30 जुलाई (हि.स.)। फसल पकने से काटने तक किसान के खेत में खड़ी फसल की रखवाली करना किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि आजकल खेतों में कीट पतंग से ज्यादा बड़े जानवर फसलों को ज्यादा और बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं। इसके लिए किसानों को रात-रात भर जागना पड़ता है। किसानों की इस परेशानी का समाधान करने के लिए केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) जोधपुर ने अब खेतों के लिए हाईटेक बीजुका बना दिया है।

जानवरों को खेत से भगाने के लिए काजरी ने एक गैजेट तैयार किया है, जो कई तरह की आवाजें एक निश्चित क्रम व आवृत्ति में निकालता है। इससे छोटे से लेकर बड़े जानवर खेतों से भाग जाते हैं। काजरी ने देश के कई हिस्सों में इसका सफल परीक्षण किया है और अब किसानों को ये उपलब्ध करवाया जा रहा है। यह गैजेट मोबाइल से ऑपरेट किया जा सकता है, जिससे किसान अपने घर बैठकर भी, जानवरों के आने की आशंका पर इस गैजेट को चालू कर सकता है।

फिलहाल इस गैजेट की कीमत करीब 18 हजार रुपये है। काजरी से संबंधित देश के 10 केंद्रों पर इसका परीक्षण किया गया है। दक्षिण में इसे किसान तेजी से अपना रहे हैं। इस गैजेट प्रोजेक्ट के कॉर्डिनेटर और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. विपिन चौधरी ने बताया कि इस गैजेट में हमने कई तरह की आवाजें चिप के माध्यम से डाली हैं, जो निश्चित अंतराल में बजती हैं।

उन्होंने बताया कि शुरुआती चरण में इसे ऑपरेट करने के लिए किसान को खेत में रहना पड़ता था, लेकिन बाद में इसे विकसित कर इसमें एक मोबाइल सिम का इंस्टॉलेशन किया गया। किसान इस सिम नंबर पर एसएमएस भेजता है, जिसके बाद वह अपने आप चालू हो जाता है। बंद करने के लिए भी एसएमएस करना होता है। इसकी बैटरी चार्ज करने के लिए सोलर प्लेट लगाई है।

दुबारा कई दिनों तक नहीं आते जानवर

काजरी के उपकरण का नाम बायोएकोस्टिक रखा है। यह इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) पर आधारित है, यानी किसान अपने मोबाइल के जरिए घर बैठे ही इसे ऑपरेट कर सकता है। इस गैजेट में जानवरों के साथ सामान्य संवाद की आवाज, जानवरों को बुलाने की आवाज, जानवरों को सावधान करने वाली आवाज, गोली चलने की आवाज और प्रत्येक जानवर के लिए उस पर हमला करने वाले मांसाहारी जानवर की आवाज सहित कई आवाजें एक क्रम में रेंडमाइज की गई हैं। कोई भी आवाज दोबारा नहीं आती है। एक आवाज के बाद कुछ सेकंड के लिए गैजेट रुक जाता है और फिर दूसरी आवाज आती है। ऐसे में खेत में घुसने वाला जानवर अपने मस्तिष्क में इन आवाजों की मेमरी नहीं बना पाता है और उसे खतरे का आभास हो जाता है। जानवर आवाज का अभ्यस्त नहीं हो इसके लिए आवाजें बदलती रहती हैं।

जानवरों की प्रवृति से ही आइडिया

डॉ. चौधरी ने बताया कि जानवरों में एक अलग गुण होता है, जिसके तहत वे अपनी भाषा में बात करते हैं और समझते भी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए हमने जानवरों की सूची तैयार की, जिसमें उन जानवरों को शामिल किया गया जिनसे वे डरते हैं। इसमें जानवर के फंसने, अपने साथी को बुलाने सहित खतरे के संकेत की आवाजें रिकॉर्ड की गई थी। इनका उपयोग चिप के माध्यम से इस गैजेट में हो रहा है। डॉ. चौधरी ने बताया कि हमने सुरक्षात्मक उपाय के तौर पर यह गैजेट विकसित किया है। इसका प्रयोग सफल रहा है। इससे जानवर खेतों से दूर रहते हैं। अभी इसकी लागत 18 हजार रुपये आ रही है, जिसके चलते राजस्थान में किसान के लिए यह बहुत खर्चीला है। फिर भी काजरी किसानों को मोटिवेट कर इसके लिए प्रेरित कर रही है। अगर सरकार इसमें सब्सिडी दे तो किसानों को काफी फायदा होगा।

इसलिए जरूरत पड़ रही विकल्प की

भारत में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत वन्य जीवों को मारा नहीं जा सकता, जबकि अलग-अलग क्षेत्रों में अलग वन्य जीवों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इसका सीधा असर खेती पर पड़ता है। देश के हर हिस्से में नीलगाय, सूअर, बंदर, हाथी सहित अन्य जीव हैं, जो खेतों में घुसकर फसल खराब करते हैं। ऐसे में हर क्षेत्र में किसान इस परेशानी का हल निकालने के लिए विकल्प तलाशते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए काजरी ने इस गैजेट को तैयार किया।

हिन्दुस्थान समाचार / सतीश