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अयोध्या, 30 जुलाई (हि.स.)। कांची शंकर वेद विद्यालय कांचीमठ प्रमाेदवन, अयोध्याधाम के प्राचार्य अशोक वैदिक ने गाेस्वामी तुलसीदास जयंती की पूर्व संध्या पर बुधवार को कहा कि वह एक महान कवि और दार्शनिक थे। उन्होंने श्री रामचरितमानस की रचना कर समूची मानव जाति को प्रभु श्रीराम के आदर्शों से जोड़ने का पुनीत कार्य किया। तुलसीदास की रचनायें व विचार सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे। वह मध्यकालीन हिंदी साहित्य के महान रामभक्त एवं कवि थे। उन्होंने रामचरितमानस और हनुमान चालीसा जैसे विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थों की रचना की है।
गोस्वामी तुलसीदास ने संस्कृत ग्रंथों को हिंदी में रूपांतरित कर धार्मिक और भक्ति साहित्य को सरल, लोकप्रिय बनाया। तुलसीदास भक्तिकाल की राम काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि है। जारी बयान अशोक वैदिक ने कहा कि तुलसी दास जी ने रामचरितमानस के जरिए भगवान राम की भक्ति को घर-घर तक पहुँचाया है। जहाँ तुलसी का साहित्य भक्ति-भावना जागृत करता है। वहीं सामाजिक चेतना का भी प्रसार करता है। तुलसीदास की सामाजिक और लोकवादी दृष्टि मध्यकाल के अन्य कवियों से अधिक व्यापक व गहरी है। उनके विचार से वही धर्म सर्वोपरि है जो समग्र विश्व के सारे प्राणियों के लिए शुभंकर और मंगलकारी हो। जो सर्वथा उनका पोषक, संरक्षक और संवर्द्धक हो। उनके नजदीक धर्म का अर्थ पुण्य, यज्ञ, यम, स्वभाव, आचार, व्यवहार, नीति या न्याय, आत्म-संयम, धार्मिक संस्कार तथा आत्म-साक्षात्कार है। तुलसी ने अपने महाकाव्य में राम के विभिन्न रूप जैसे कि आदर्श मानव, आदर्श राजा, आदर्श पति, आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श वीर, आदर्श पिता को चित्रित किया है। तुलसी के रामचरितमानस और राम का प्रभाव मैथिलीशरण गुप्त के “साकेत” और राम पर पड़ा है। तुलसी के राम परब्रह्म, विष्णु के अवतार और मर्यादा पुरूषोत्तम हैं। तुलसी ने भक्ति प्राप्ति के लिए सत्संग को सर्वश्रेष्ठ बताया है। इसके अतिरिक्त ज्ञान और वैराग्य को भी भक्ति का साधन बताया है। तुलसी ने तप, संयम, श्रद्धा, विश्वास, प्रेम, ईश्वर कृपा, प्रभु की शरणागति को भी भक्ति का प्रमुख साधन सिद्ध किया है।
हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय