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अयोध्या, 30 जुलाई (हि.स.)। श्रावण मास की शुक्ल तृतीया यानी हरियाली तीज से प्रारंभ हुए ऐतिहासिक मणिपर्वत झूला मेला के साथ ही उत्तर प्रदेश की रामनगरी अयाेध्या के मठ-मंदिराें में धीरे-धीरे झूलनाेत्सव का रंग चटख हाे रहा। युगल सरकार के झूलन झांकी का दर्शन कर साधु-संत, भक्तजन अपना जीवन सार्थक बना रहे हैं। झूलन और कजरी गीताें से पूरी अयाेध्यानगरी आप्लावित है। चहुंओर भक्तिमय वातावरण छाया हुआ है।
अयाेध्याधाम की सुप्रसिद्ध पीठ राघवेंद्र भवन नाेनहटिया, कनीगंज में झूलन महोत्सव शुरु हो चुका है। मठ में युगल सरकार के झूलन झांकी का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। बुधवार काे श्रद्धालुगण कतारबद्ध होकर बारी-बारी से राघवेंद्र भवन सरकार के झूलन झांकी का दर्शन कर पुण्य के भागीदार बन रहे हैं। राघवेंद्र भवन में नित्य सायंकाल युगल सरकार काे झूलन झांकी पर विराजमान कराकर आरती-पूजन किया जा रहा है। उसके बाद झूलनाेत्सव का कार्यक्रम प्रारंभ हाेता है। जाे सायंकाल से शुरू होकर देररात्रि तक चल रहा है। नामचीन कलाकरगण भिन्न-भिन्न झूलन गीताें 'झूलन में आज सज-धज के युगल सरकार बैठे हैं.....' आदि से झूलनाेत्सव की महफिल सजा रहे हैं। इससे साधु-संत से लेकर श्रद्धालुगण भाव के अंतरंग में आनंदित हैं।
युगल सरकार के झूलन झांकी काे अपनी सानिध्यता प्रदान करते हुए राघवेंद्र भवन के वर्तमान पीठाधिपति महंत शिवराम शरण महाराज ने बुधवार
काे बताया कि आश्रम में भगवान के झूलनाेत्सव का कार्यक्रम चल रहा है। जाे श्रावण शुक्ल पूर्णिमा तक अपने शबाब पर रहेगा। युगल सरकार के झूलन झांकी का दर्शन करने से पुण्य की प्राप्ति हाेती है। जाे भी मनुष्य भगवान के झूलन झांकी का दर्शन करता है, वह सर्वथा के लिए आवागमन से मुक्त हो जाता है। उन्हाेंने बताया कि सर्वप्रथम भगवान श्रीराम ने अपनी अर्धांगिनी सीता संग ऐतिहासिक मणिपर्वत के बाग में झूला झूला था। भगवान श्रीराम ने जिस दिन मणिपर्वत पर झूला झूला, वह दिन श्रावण शुक्ल तृतीया यानी हरियाली तीज का था। तब से हर वर्ष श्रावण शुक्ल तृतीया अर्थात हरियाली तीज से युगल सरकार का झूलन महोत्सव मनाया जाता है, जिसका पालन हम आज भी कर रहे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय