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जयपुर, 25 जुलाई (हि.स.)। सहायक निदेशक, आर्थिक एवं सांख्यिकी, डॉ. सुदीप कुमावत ने कहा की जन्म मृत्यु अधिनियम 1969 में बदलाव कर वर्तमान में नया नियम बनाया है। जिसके तहत सात दिवस में रजिस्ट्रार व उप रजिस्ट्रार द्वारा जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं करने पर 250 रूपये का जुर्माना व संस्था द्वारा जन्म व मृत्यु की जानकारी नहीं देने पर एक हजार का रुपये का जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि कोई रजिस्ट्रार निर्धारित अवधि मे प्रमाण पत्र जारी नहीं करता है, तो आमजन जिला रजिस्ट्रार व मुख्य रजिस्ट्रार को अपील कर सकता है ।
पंचायत समिति चाकसू में शुक्रवार को जन्म- मृत्यु व विवाह पंजीयन पर कार्यशाला में ये जानकारी देते हुए कुमावत ने कहा की सभी रजिस्ट्रारों को सरकार द्वारा निर्धारित समय अवधि मे आमजन को प्रमाण पत्र जारी करना चाहिए। जिससे आमजन को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो। कार्यशाला में पंचायत समिति क्षेत्र के अधीन आने वाले रजिस्ट्रार व उप रजिस्ट्रार ने भाग लिया।
उन्होंने बताया कि जन्म-मृत्यु पंजीकरण करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र मे ग्राम विकास अधिकारी को रजिस्ट्रार व सीएचसी, पीएचसी को उप रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया है।
उन्होंने बताया कि अधिनियम में बदलाव कर किया दंड का प्रावधान- सरकार द्वारा जन्म- मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 में संशोधन कर आमजन को राहत प्रदान की गई है। अब प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने के बाद रजिस्ट्रार द्वारा उसे सात दिवस मे जारी करना आवश्यक है। जबकि जन्म- मृत्यु की घटना के घटित होने की सूचना सूचनादाता द्वारा देना आवश्यक होगी।
इस दौरान सहायक सांख्यिकी अधिकारी, प्रमोद कुमार गुप्ता, जयपुर कलेक्ट्रेट ने जन्म-मृत्यु व विवाह पंजीकरण में रजिस्ट्रार के सामने आने वाली सभी समस्याओं पर विस्तार से प्रकाश डाला और समस्याओं का मौके पर ही समाधान किया। इस अवसर पर बीएसओ राजकुमार महेंद्रा , सांख्यिकी निरीक्षक राजेश कुमार मीना, संगणक अल्पना साहू, वरिष्ठ सहायक जितेन्द्र जाजोरिया आदि उपस्थिति रहे।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने जन्म- मृत्यु पंजीयन राजस्थान लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत दी जाने वाली सेवा में शामिल किया है। ऐसे में इसकी मुख्य सचिव द्वारा नियमित समीक्षा की जाती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / संदीप