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कांकेर, 11 जुलाई (हि.स.)। जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर बांसकुंड गांव में बहने वाली चिनार नदी में पुल नसीब नहीं हाेने से बांसकुंड गांव के तीन आश्रित गांव ऊपर तोनका, नीचे तोनका और चलाचूर के लगभग 500 ग्रामीण बरसात के 3 महीने जिला मुख्यालय, ब्लाक मुख्यालय और ग्राम पंचायत से कट जाते हैं। इस दौरान मजबूरी में ग्रामीण चिनार नदी पर बने स्टॉपडैम से आवागमन करते हैं। इस बार भी ग्रामीण स्टॉपडैम के 16 पिलरों को कूद कर रोज आना-जाना कर रहे, इससे ग्रामीणों के जान काे खतरा बना रहता है।
ग्रमीणों का कहना है कि ऊपर तोनका, नीचे तोनका और चलाचूर तीन गांव के ग्रामीण लगातार चिनार नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं। लंबे संघर्ष के बाद हाटकर्रा गांव से ऊपर तोनका 4 किमी सड़क तो बनवा दी, लेकिन जिम्मेदार पुल बनाना भूल गए। यही कारण है कि ग्रामीण रोज स्टॉपडैम के 16 पिलर को फांद कर आना जाना करते हैं। खाद-बीज या दैनिक उपयोग के राशन समान को ग्रामीण कांधे पर लादकर रोजाना 16 पिलरों को लांघ कर पार करते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि नदी उफान पर होने से स्कूल में पढ़ाने बारिश में शिक्षक नहीं आ पाते हैं। ऊपर तोनका और नीचे तोनका गांव में प्राथमिक पाठ शाला है, लेकिन हाईस्कूल व हायर सेकेंडरी पढ़ने छात्रों को नदी पार कर बांसकुंड आना होता है। बच्चे भी पानी कम रहने पर इसी तरह रोज स्टॉपडैम के पिलरों को लांघ कर स्कूल आते-जाते हैं। राशन लेने जाने में भी दिक्कत होती है, आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल ले जाना संभव नहीं हो पाता है।
उल्लेखनीय है कि स्टॉप डेम में छलांग लगाना जोखिम भरा है। पिछले साल एक स्कूली बच्चा पिलर लांघते समय नदी में गिर गया था, ग्रामीण वहां पर मौजूद थे, इसलिए उसे बचा पाए। उसके बाद एक शिक्षक भी गिर गया था, जो खुद तैर कर बच गए। ग्रामीणों का कहना है कि चिनार नदी पर 10 साल पहले स्टॉपडैम जरूर बनाया गया था, जिसमें गेट नहीं होने से पानी नहीं रूकता है।
जिला पंचायत सीईओ हरेश मंडावी का कहना है कि ग्रामीण पुल की मांग पहले से कर रहे हैं। हमने शासन स्तर पर पुल का प्रस्ताव भेजा है, जल्द ही ग्रामीणों को पक्का पुल मिल जाएगा। हम लगातार अंदरुनी क्षेत्रों में सड़क और पुल-पुलियों का जाल बिछा रहे हैं। ग्रामीणों को परेशानी न हो इसीलिए जल्द वहां पक्का पुल बनाया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे