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जगदलपुर, 11 जुलाई (हि.स.)। कलेक्टर हरिस एस के निर्देशन एवं पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा के मार्गदर्शन में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख) अधिनियम 2015 यथा संशोधित 2021 के प्रभावी कियान्वयन एवं किशोर न्याय बोर्ड में लंबित प्रकरणों के समय पर निराकरण हेतु कार्यशाला का आयोजन जिला बाल संरक्षण इकाई महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा गुरुवार को लालबाग स्थित शौर्य भवन में किया गया। कार्यशाला में जिला बाल संरक्षण अधिकरी डॉ विजय शर्मा द्वारा सभी हितधारकों को बालकों के प्रकरण में संवेदनशील होकर कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया । विधि से संघर्षरत तथा देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के प्रकरण के शीघ्र एवं समय सीमा में निराकरण हेतु अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को समयसीमा में संवेदनशीलता के साथ पूर्ण करने को कहा गया। जिससे किशोर बोर्ड में लंबे समय से लंबित प्रकरणों एवं बाल सम्प्रेक्षण गृहों में लंबे समय से निवासरत बालकों के प्रकरणों का समयसीमा में निराकरण संभव हो सके। इसके लिए सभी स्टेक होल्डर्स को साथ मिलकर समन्वय से कार्य करने हेतु प्रेरित किया।
कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी सुश्री भावना खटवानी द्वारा किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 यथा संशोधित 2021 में उल्लेखित धारा एवं प्रावधानों को सारगर्भित रूप से समझाया गया। विधिक सह परिवीक्षा अधिकारी, संतोष वैध द्वारा स्टेक होल्डर्स को किशोर न्याय बोर्ड में प्रस्तुत प्रकरणों की प्रकृति, लंबित रहने के कारण, सामाजिक जांच प्रतिवेदन के संबंध में चर्चा करते हुए प्रकरणों के निराकरण में बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों व अन्य स्टेक होल्डर्स की भूमिका के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई।
कार्यकम में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित उप संचालक लोक अभियोजन आरके मिश्रा द्वारा बताया गया कि बाल अधिकार और उनके संरक्षण के लिए सभी विभागों को समन्वय से मिलकर कार्य करना होगा तभी हम उनके अधिकारों को संरक्षण प्रदान कर पायेगे। जिसमें पुलिस, स्वास्थ्य तथा शिक्षा विभाग की भूमिका पर जोर देते हुए कहा गया कि एक बालक के विरूद्ध हुए अपराध में पुलिस स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग की कार्यवाही अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिसे बच्चों के हित को ध्यान में रखकर किया जाना है। इसके साथ ही उनके द्वारा किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के प्रभावी क्रियान्वयन एवं प्रक्रियागत त्रुटियों पर प्रकाश डालते हुए बालकों की आयु के संबंध में बताया गया कि बालकों की आयु प्रमाण के लिए जन्म प्रमाण पत्र, हाई स्कूल प्रमाण पत्र, स्कूल दाखिल खारिज प्रमाण पत्र के आधर पर पांचवी व आठवीं कक्षा के प्रमाण पत्र को वैध है। साथ ही बोन टेस्ट एवं दन्त टेस्ट के बारे में बताया गया।
कार्यशाला में उपस्थित बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों व अन्य हितधारकों द्वारा विधि से संघर्षरत तथा देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के प्रकरण के दौरान अपनाई जाने वाली प्रकिया एवं व्यवहारिक समस्याओं के संबंध में चर्चा की गई जिसका उपस्थित वक्ताओं के द्वारा समाधान किया गया। कार्यशाला में डीएसपी एवं नोडल अधिकारी विशेष किशोर पुलिस इकाई सुश्री सुशांता लकड़ा सहित जिले के समस्त बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, समाज कल्याण विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, श्रम विभाग, बाल कल्याण समिति व किशोर न्याय बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्य, स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि, बाल देखरेख संस्थाओं के अधीक्षक व परिवीक्षा अधिकारी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे