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जयपुर, 11 जुलाई (हि.स.)। सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग राजस्थान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पॉलिसी-2025 लाने जा रहा है, जिसका उद्देश्य राज्य को जिम्मेदार, समावेशी और नवाचार-प्रधान कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) विकास का उभरता केंद्र बनाना है। विभाग की शासन सचिव अर्चना सिंह ने कहा कि यह नीति स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और शहरी प्रशासन जैसे क्षेत्रों में एआई के उपयोग को बढ़ावा देगी, ताकि जन-केंद्रित सेवाओं में सुधार हो और आर्थिक विकास को गति मिले।
शासन सचिव अर्चना सिंह शुक्रवार को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय एआई पॉलिसी स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। कार्यशाला में राजस्थान एआई पॉलिसी-2025 के मसौदे पर चर्चा की गई, जिसे विभाग की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया गया है। अर्चना सिंह ने बताया कि कोई भी व्यक्ति इस मसौदे पर अपनी राय और सुझाव साझा कर सकता है।
दो सत्रों में आयोजित हुई इस कार्यशाला के पहले सत्र में ऑरेकल, आईबीएम, ऑर्बिट, अर्नेस्ट एंड यंग, एनईसी जैसी एआई क्षेत्र की देश-विदेश की प्रतिष्ठित कंपनियों से जुड़े प्रोफेशनल्स ने हिस्सा लिया, जबकि दूसरे सत्र में आईआईएम उदयपुर, आईआईटी कानपुर, आईआईटी जोधपुर और एमएनआईटी जयपुर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, स्टार्टअप्स और एआई के विद्यार्थियों ने ड्राफ्ट पॉलिसी पर अपने विचार रखे।
एनईसी कंपनी के प्रतिनिधि दीपक पठानिया ने इस नीति को लाने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि निश्चित तौर पर यह पॉलिसी प्रदेश के लिए बेहद कारगर सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पॉलिसी लागू करते समय व्यावहारिक अप्रोच का उपयोग करे, जिससे कि हर स्तर पर एआई के उपयोग को सफल बनाया जा सके एवं नीति के प्रारूप में सम्मिलित होने से शेष रही सम्भावनाओं को भी पॉलिसी में समाहित किया जा सके।
अर्नेस्ट एंड यंग की प्रतिनिधि विभा ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा ड्राफ्ट एआई पॉलिसी में आवश्यक महत्वपूर्ण घटकों को शामिल किया गया है। उन्होंने पॉलिसी को और अधिक उपयोगी बनाने के लिए प्लेबुक का सुझाव दिया, जिससे एआई उपयोग के नैतिक नियमों को प्रायोगिक तौर पर समझा जा सके।
स्वयंसेवी संस्था डिजिटल एम्पॉवरमेंट फाउंडेशन के प्रतिनिधि सौरभ श्रीवास्तव ने पॉलिसी से प्रदेश की महिलाओं, विशेष योग्यजनों एवं वृद्धजनों पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों के सम्बंध में बात कही। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का तर्क देते हुए ग्रीन डेटा सेंटर का सुझाव दिया तथा एआई के उपयोग से होने वाले विभिन्न तरह के वित्तीय फ्रॉड और डीपफेक जैसी चुनौतियों से निपटने के उपायों को पॉलिसी में समाहित करने का सुझाव दिया।
डेश एआई ग्लासेज स्टार्टअप के संस्थापक हिमांशु डागा ने एआई की विश्वसनीयता तथा समाज के प्रति जवाबदेही के संबंध में विचार व्यक्त किए। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर की वाइस चांसलर गुरप्रीत कौर ने एआई के कानूनी परिप्रेक्ष्य में उपयोग को साझा किया और शिक्षा को अधिक प्रभावी बनाने के लिए शिक्षकों को एआई टूल्स से प्रशिक्षित करने पर बल दिया।
राजस्थान एआई पॉलिसी-2025
नीति के प्रमुख उद्देश्यों में सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार, नैतिक और जिम्मेदार एआई विकास, मजबूत कानूनी ढांचे की स्थापना, कुशल कार्यबल तैयार करना, नवाचार को बढ़ावा देना और समावेशी पहुंच सुनिश्चित करना शामिल है। इसके लिए तीन प्रमुख कारक निर्धारित किए गए हैंः सरकारी स्तर पर नैतिक एआई अपनाना, कौशल विकास और अनुसंधान को प्रोत्साहन, और मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण।
बनेगा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
इस नीति के प्रभावी क्रियान्वयन में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एआई (सीओई-एआई) महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह केंद्र अनुसंधान, नवाचार और स्टार्टअप्स को समर्थन देगा, साथ ही सरकारी, शैक्षणिक और निजी क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगा। नीति नेशनल इंडिया एआई मिशन के साथ संरेखित है और वैश्विक सर्वाेत्तम प्रथाओं को अपनाती है। नीति के मसौदे में बहु-स्तरीय संस्थागत ढांचे की स्थापना प्रस्तावित है, जिसमें एआई अपेक्स कमेटी, स्टीयरिंग कमेटी, एआई टास्क फोर्स और विभागीय एआई नोडल ऑफिसर शामिल हैं। यह नीति राजस्थान को जिम्मेदार और समावेशी एआई अपनाने में अग्रणी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
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हिन्दुस्थान समाचार / संदीप