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फतेहाबाद, 5 जून (हि.स.)। भदौरिया वंश के कुलदीपक महाराजा रज्जू राव भदौरिया की जयंती गुरूवार को क्षत्रिय राजपूत महासभा फतेहाबाद द्वारा धूमधाम से मनाई गई। महासभा के सदस्यों ने महाराजा रज्जू राव भदौरिया के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता क्षत्रिय राजपूत महासभा के प्रधान जितेन्द्र भदौरिया व कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीन चंदेल ने संयुक्त रूप से की। कार्यक्रम में विशेष तौर पर महासभा के सरंक्षक ठाकुर सुखदेव सिंह, वरिष्ठ सलाहाकार विजय चौहान, सरपंच प्रतिनिधि दिनेश चंदेल रत्ताटिब्बा, सहसचिव रणबीर भाटी, कोषाध्यक्ष रोशन लाल, संजीव चंदेल, धीरज चारण, धर्मेन्द्र, अतुल, जगदीश छौक्कर सहित अनेक सदस्यों ने भाग लिया। इस अवसर पर जीटी रोड स्थित लजीज होटल के बाद छबील भी लगाई गई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान जितेन्द्र भदौरिया ने महाराजा रज्जू राव भदौरिया के जीवन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भदावर वंश के किले पर आक्रमण प्रथम सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया। 3 दिन तक घनघोर युद्ध हुआ। राजा शल्यदेव भदौरिया वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी दो रानियों ने जौहर दिखाया। एक रानी जो 8 माह के गर्भ से थी, वंश रक्षार्थ जीवित रही। जितेन्द्र भदौरिया ने बताया कि आचार्य घनश्याम दास एवं भूपत मिर्धाजाट ने किले की सुरंग के रास्ते से उन्हें उनके मायके फतेहपुर सिकरी उनके पिता दलकूशाह सिकरवार के पास ले गए। एक माह उपरांत रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम रज्जू राव भदौरिया रखा गया। इनका लालन-पालन ननिहाल फतेहपुर सिकरी में हुआ। अपने युद्ध कौशल्य से अपनी सैन्य शक्ति एकत्रित की और महाराजा रज्जू राव भदौरिया ने 1246 में हथिकाथ पर धावा बोल दिया। हतिया मेवों के धड़ से सिर अलग कर भदौरिया किला अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद उन्हें भदावर रियासत का राजा घोषित किया गया। इस अवसर पर महासभा के सदस्यों ने उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
हिन्दुस्थान समाचार / अर्जुन जग्गा