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नई दिल्ली, 02 जून (हि.स.)। देश भर में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो कोरोना के सैंपल एकत्र करने को लेकर अपनायी जाने वाले स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। जस्टिस अनीश दयाल ने केंद्र सरकार को 18 जुलाई तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। देश में काेराेना के अब तक करीब 4 हजार मामले सामने आये हैं। जनवरी से अब तक 32 लोगों की कोरोना से मौत की भी खबरें हैं।
हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से 30 मई, 2023 को इसे लेकर विभिन्न विभागों की जो बैठक हुई थी उसमें एसओपी को लागू करने को लेकर उठाये जाने वाले कदमों के बारे में अस्पष्टता है। हाई कोर्ट ने कहा कि कोरोना के मामलों के फिर से पांव पसारने की खबरें मिल रही है, इसलिए सैंपल एकत्र करने को लेकर जारी एसओपी को तेजी से लागू करना जरुरी है।
दरअसल, डॉक्टर रोहित जैन ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करके कहा है कि प्रशासन ने कोर्ट के पहले के आदेश को लागू नहीं किया है। प्रशासन ने कोरोना के सैंपल एकत्र करने और सैंपल को लेकर जाने को लेकर न्यूनतम मानदंड तैयार नहीं किया है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील मोनिका अरोड़ा ने कहा कि इस संबंध में वे कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे।
केंद्र सरकार ने कहा कि 27 जनवरी, 2023 के कोर्ट के आदेश के बाद स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त महानिदेशक ने 30 मई, 2023 को बैठक बुलायी थी। बैठक में विशेषज्ञों की चार कमेटियां गठित कर उन्हें कोरोना के सैंपल एकत्र करने को लेकर एसओपी तैयार करने का फैसला किया गया था। विशेषज्ञों की कमेटियों में केंद्र सरकार के अस्पतालों के पैथोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, हेमाटोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के विशेषज्ञ शामिल थे। तब कोर्ट ने कहा कि इस बैठक के बावजूद एसओपी पर अमल कैसे होगा, इस पर कोई फैसला क्यों नहीं किया गया। उसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि कोरोना सैंपलिंग को लेकर जारी एसओपी को लागू करने की क्या स्टेटस रिपोर्ट है।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी