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--कुंज गली सहित तमाम पुरातात्त्विक पौराणिक मंदिरों के ध्वस्तीकरण के खिलाफ 2023 की याचिका की सुनवाई स्थगित --इस दौरान राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश, अगली सुनवाई तीन जुलाई को
प्रयागराज, 02 जून (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वृंदावन में प्रस्तावित ठाकुर श्री बांके बिहारी जी महाराज मंदिर कोरिडोर के कारण भगवान श्रीकृष्ण की रास लीला स्थल कुंज गली, पुरातात्विक धरोहर ठाकुर श्री राधा गोपाल जी महाराज, राधा मोहन मंदिर व ठाकुर श्री धन बिहारी जी मंदिर ध्वस्तीकरण के खिलाफ दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई की तिथि 3 जुलाई नियत की है।
कोर्ट ने कहा क्योंकि इसी मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है, इसलिए इस केस की सुनवाई स्थगित कर रहे हैं। तब तक राज्य सरकार अपना जवाब दाखिल करें। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति मदन पाल सिंह की खंडपीठ ने पंकज सारस्वत की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
याचिका में कुंज गली सहित लगभग 50 पौराणिक मंदिरों, हरिदास संप्रदाय के पूजा स्थल ध्वस्त न करने की मांग की गई है। याची का कहना है कि ऐसा करने से न केवल प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 अपितु अनुच्छेद 25, 26 व 49 का उल्लंघन किया जा रहा है। यह भी कहा गया है कि बलपूर्वक नहीं अपितु सहमति से नये अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहण किया जाय।
मुख्य स्थाई अधिवक्ता कुणाल रवि ने याचिका का विरोध किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरिडोर योजना की अनुमति दे दी है और ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के फंड का इस्तेमाल अधिग्रहण के लिए करने की इजाजत दे दी है। सरकार मंदिर के चारों तरफ पांच एकड़ में पार्किंग व्यवस्था, टायलेट, विश्राम घर आदि सुविधाएं देना चाहती है। जो आधार इस याचिका में लिए गए हैं, उन्हीं आधारों पर देवेंद्र नाथ गोस्वामी व रसिक राज गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट के 15 मई 25 के आदेश को संशोधित करने की अर्जी दी है। जिसमें कहा गया है कि योजना लागू की गई तो धार्मिक स्थल की अपूरणीय क्षति होगी। वृंदावन का धार्मिक स्वरूप बदल जायेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे