दर्जनों रिटायर पुलिस कर्मियों से अधिक वेतन भुगतान की वसूली आदेश रद्द
इलाहाबाद हाईकाेर्ट


--कोर्ट ने कहा, वसूली गई राशि दो माह में आठ फीसदी ब्याज सहित वापस करें

प्रयागराज, 02 जून (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि वेतन निर्धारण में विभागीय गलती के लिए पुलिस कर्मियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इस आधार पर सेवानिवृत्ति से पहले अधिक वेतन भुगतान की वसूली करना सही नहीं है कि कर्मचारियों ने अंडरटेकिंग दी थी।

कोर्ट ने कहा अंडरटेकिंग केवल अंतिम वेतन के आधार पर पेंशन के लिए गणना में लागू होगी। विभागीय गलती से अधिक भुगतान मामले में यह लागू नहीं होगी। कोर्ट ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने रफीक मसीह केस में स्पष्ट किया है कि तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को विभागीय गलती से अधिक वेतन भुगतान की वसूली सेवानिवृत्ति के बाद नहीं की जा सकती।

इसी आधार पर कोर्ट ने पुलिस कर्मियों से अधिक वेतन भुगतान की वसूली आदेश 25 सितम्बर 17 को रद्द कर दिया है और कहा है जिन कर्मियों से वसूली कर ली गई है दो माह के भीतर आठ फीसदी ब्याज सहित वापसी की जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार की एकलपीठ ने मुख्य आरक्षी प्रहलाद सिंह व अन्य सहित 42 याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है।

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम आदि अधिवक्ताओं ने बहस की। याचिकाओं में विभागीय गलती से अधिक वेतन भुगतान की वसूली कार्रवाई की वैधता को चुनौती दी गई थी। याची अधिवक्ता का तर्क था कि वेतन निर्धारण में याचियों की कोई भूमिका नहीं है। इसलिए उन्हें इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए अधिक वेतन भुगतान की वसूली नहीं की जा सकती।

सरकार का कहना था कि शासनादेश के आलोक में आडिट में अधिक वेतन भुगतान का पता चला। और याचियों ने अंडरटेकिंग दी है कि अधिक भुगतान की वसूली कर सकते हैं।

कोर्ट ने कहा कि सरकार इस बात से इंकार नहीं कर रही कि वेतन निर्धारण में याचियों की जिम्मेदारी नहीं है।वेतन निर्धारण का अनुमोदन करने वाले जिम्मेदार हो सकते हैं। सेवानिवृत्ति पर अधिक भुगतान की वापसी की अंडरटेकिंग का इस्तेमाल अधिक वेतन भुगतान मामले में नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने सेवानिवृत्त दर्जनों पुलिस कर्मियों को बड़ी राहत दी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे