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गांधीनगर, 13 जून (हि.स.)। अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास भीषण विमान हादसे के शिकार हुए लोगों में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी थे। आइए जानते हैं विजय रुपाणी की जीवन यात्रा के वे अहम मोड़ जिसमें एक साधारण बालक से मुख्यमंत्री बनने तक का संघर्षमय सफर साफ तौर पर दिखता है।
2 अगस्त 1956 को जन्मे विजय रूपाणी का बचपन बेहद साधारण परिवेश में बीता। उनका जन्म म्यांमार (बर्मा) के रंगून में हुआ था, लेकिन कुछ समय बाद उनका परिवार सौराष्ट्र के राजकोट शहर में आ बसा। व्यापारिक पृष्ठभूमि वाले इस परिवार में विजयभाई रुपाणी ने बचपन से ही अनुशासन, मूल्य और समाज सेवा की शिक्षा पाई।
विद्यालयी शिक्षा राजकोट में पूरी करने के बाद उन्होंने बी.ए. और फिर एल.एल.बी. की पढ़ाई की। छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और जनसंघ के साथ जुड़ कर सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाने लगे।
राजनीति की ओर पहला कदम
1970 के दशक में वे आपातकाल के दौरान जेल भी गए। उसी दौरान उनका राजनीतिक चरित्र और मजबूत हुआ। वे भारतीय जनता पार्टी की स्थापना से ही पार्टी के साथ जुड़ गए और धीरे-धीरे संगठन के विभिन्न स्तरों पर काम करते गए। उनकी निष्ठा, ईमानदारी और काम के प्रति समर्पण ने उन्हें सभी का प्रिय बना दिया।
जनता के नेता, जमीन से जुड़ा व्यक्तित्व
राजकोट नगर निगम में पार्षद से लेकर मेयर तक का सफर तय करते हुए उन्होंने प्रशासनिक कौशल का परिचय दिया। 2014 में वे पहली बार विधायक बने और जल्द ही गुजरात सरकार में मंत्री भी बने।
2016 में जब उन्हें गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया, तो वे अपने साथ वर्षों की ज़मीनी समझ, संगठन का अनुभव और जनसेवा की भावना लेकर आए। मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने ‘गुजरात मॉडल’ को आगे बढ़ाया और विकास के अनेक कार्यों को गति दी।
निरंतर सेवा का संकल्प
सरल, सहज और सुलभ व्यक्तित्व वाले रूपाणी आमजन से हमेशा जुड़े रहे। उन्होंने हर वर्ग, विशेषकर ग्रामीण, गरीब और पिछड़े समुदाय के लिए अनेक योजनाएं शुरू कीं। उनका कार्यकाल साफ-सुथरे प्रशासन और भ्रष्टाचार से दूर रहने के लिए जाना गया।
हृदय विदारक क्षण
12 जून 2025, गुरुवार की दोपहर। एयर इंडिया की फ्लाइट, जो अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास हादसे का शिकार हो गई। उनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजयभाई रूपाणी भी थे। हादसे में उनका दुखद निधन हुआ। इस समाचार ने पूरे गुजरात और देश को शोक में डुबो दिया। राजनीतिक गलियारों से लेकर आम नागरिक तक हर कोई स्तब्ध और दुखी था। एक सजग जनसेवक, एक सच्चा राष्ट्रभक्त और एक विनम्र व्यक्तित्व चिरनिद्रा में सो गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / Abhishek Barad