बंदरों की निस्वार्थ सेवा कर रहे श्यामसुंदर सोनी
निस्वार्थ भाव से श्यामसुंदर सोनी बंदरों की कर रहे सेवा


अयोध्या, 12 जून (हि.स.)। सेवा ही परमाेधर्मा, अर्थात सेवा ही परम धर्म है। इससे बढ़कर और काेई दूसरा धर्म नहीं है। जिसका जीता जागता उदाहरण मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पावन नगरी अयोध्या धाम में देखने काे मिल रहा है। जहां बीकानेर राजस्थान के समाजसेवी श्यामसुंदर साेनी सेवा ही परमाेधर्मा के मार्ग पर चलते हुए बंदराें की सेवा कर रहे हैं, जाे अयोध्या धाम के बंदराें के लिए देवदूत बने हुए हैं।

पिछले 15 वर्षों से बीकानेर से अयोध्या आकर समाजसेवी श्यामसुंदर बंदराें काे भाेजन खिला रहे हैं। वह बंदराें काे रोजाना खाना खिलाते हैं और उनकी सेहत का ध्यान रखते हैं। उनके इस काम से अयोध्या समेत बीकानेर के लोगों को प्रेरणा मिली है। अब वे भी इन बंदरों की मदद करने में आगे आ रहे हैं। श्याम सुंदर सोनी का यह काम न केवल बंदरों के लिए वरदान है, बल्कि यह लाेगाें काे भी सिखाता है कि हमें जानवरों के प्रति दया और करुणा रखनी चाहिए। उनकी देखभाल से बंदर स्वस्थ जीवन जीते हैं। उनका यह काम निस्वार्थ भाव से किया जा रहा है। वह इसके लिए कोई पहचान नहीं चाहते हैं। बस उनका यह काम हमेशा याद रखा जाएगा। इस काम से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें जानवरों के प्रति दया और करुणा रखनी और उनकी मदद करनी चाहिए। साेनी के इस काम की वजह से अयाेध्या धाम व बीकानेर में बंदरों की सेहत और स्थिति में सुधार हुआ है। वह स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। यह काम एक उदाहरण है जो हमें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करता है।

श्यामसुंदर साेनी ने बताया कि उन्हें जानवरों से बहुत लगाव है। इसी कारण उन्हें बंदराें की सेवा करने की प्रेरणा मिली। बंदर उन्हें देखते ही उनसे आकर लिपट जाते हैं। इतना प्रेम बंदराें का उनसे हाे गया है। अब आलम यह है कि बंदर उन्हें देख उनसे लिपट जाते हैं। वह श्रीकृष्ण सेवा संस्थान बीकानेर के माध्यम से पिछले 15 वर्षों से बंदराें की सेवा कर रहे हैं। इसके अलावा उनकी संस्था नि:शुल्क जल प्याऊ, शरबत-प्रसाद वितरण, कन्याओं के विवाह आदि संबंधित अन्य सामाजिक कार्य भी कर रही है।----------------

हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय